झारखंड (Jharkhand) में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की गिरफ्तारी और सीएम पद से इस्तीफे के बाद ही सियासी घमासान मचा हुआ है. सूबे में सत्ताधारी महागठबंधन ने चंपई सोरेन (Champai Soren) को विधायक दल का नेता चुन लिया है. चंपई 43 विधायकों के समर्थन के सबूत के साथ राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा लेकर गए थे लेकिन फिलहाल राज्यपाल ने कोई फैसला नहीं लिया है.
इस राजनीतिक उहापोह के बीच एक सवाल यह भी चल रहा है कि क्या बीजेपी (BJP) सरकार बना सकती है? चलिए हम आपको बताते हैं इस सवाल का जवाब.
झारखंड में राजनीतिक हलचल के बीच राज्य में सत्तापक्ष के विधायकों को सुरक्षित करने की कवायद तेज हो गयी है. चंपई ने अपने विधायकों को हैदराबाद भेजने की तैयारी की है. इस तरह की हलचल से सवाल उठ रहे हैं कि क्या झारखंड में 'कुछ भी' हो सकता है या कहे कि विपक्षी दल बीजेपी कोई 'खेला' कर सकती है.
तो क्या वाकई में बीजेपी 'खेला' कर सकती है?
झारखंड में बीजेपी सरकार बना सकती है या नहीं इसे समझने से पहले राज्य का चुनावी गणित समझना होगा.
झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटें हैं यानी बहुमत साबित करने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को 41 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा.
किस पार्टी के पास कितने विधायक हैं:
महागठबंधन सरकार के पास 49 विधायक (हालांकि फिलहाल चंपई ने समर्थन करने वाले 43 विधायकों की ही गिनती करवाई है.)
JMM: 29 विधायक
कांग्रेस: 17 विधायक
एनसीपी: 1 विधायक
सीपीआई (एमएल): 1 विधायक
आरजेडी: 1 विधायक
विपक्षी दलों के पास 31 विधायक
बीजेपी: 26 विधायक
AJSU: 3 सीटें
निर्दलीय: 2 विधायक
आंकड़ों को देखते हुए यह समझ आता है कि अगर बीजेपी सरकार बनाना चाहे तो उसे दूसरे दल के विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी. बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए बीजेपी को 10 और विधायक चाहिए. लेकिन बीच में रोड़ा है दल-बदल कानून.
यह कानून कहता है कि कोई पार्टी तब तक विभाजित नहीं हो सकती और न ही राजनीतिक गठबंधन से बाहर निकल सकती है जब तक कि उसके निर्वाचित विधायकों में से कम से कम 2/3 इस फैसले के पक्ष में न हों.
इसके अनुसार बीजेपी को जेएमएम के दो-तिहाई यानी कम से कम 20 विधायक या कांग्रेस के दो-तिहाई यानी कम से कम 12 विधायक तोड़ने होंगे. जो फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है.
तो... इसकी ज्यादा संभावना है कि ये बहुत मुश्किल काम है.
ठहरिए जरा... बीजेपी 'खेला' बिगाड़ भी सकती है!
बड़ी संख्या बीजेपी अगर विधायक नहीं तोड़ पाती है तो भी एक ऐसा 'हथियार' जिससे भले ही बीजेपी सीधे सत्ता में न आ सके लेकिन चंपई सोरेन को भी सत्ता में आने से रोक सकती है - और वह है राष्ट्रपति शासन.
राष्ट्रपति शासन लागू होने के पीछे एक फैक्टर ये है कि कोई भी दल सरकार बनाने में असमर्थ हो जाए. इसके लिए चंपई के समर्थन में खड़े 43 विधायकों में से कुछ विधायकों को तोड़ना होगा जिससे कि चंपई बहुमत साबित न कर पाए.
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