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KCR की पार्टी हुई राष्ट्रीय, TRS के गठन से लेकर BRS बनने तक- 20 साल की कहानी

KCR Launches BRS: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने 5 अक्टूबर 2022 को भारत राष्ट्र समिति की शुरुआत की

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तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के सुप्रीमो और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (K Chandrashekar Rao) ने बुधवार, 5 अक्टूबर को अपनी नई राष्ट्रीय पार्टी- भारत राष्ट्र समिति (BRS) का शुभारंभ किया. केसीआर के नाम से जाने-जाने वाले के. चंद्रशेखर राव, इस साल अप्रैल में TRS पार्टी की बैठक के बाद से राष्ट्रीय पार्टी शुरू करने के संकेत दे रहे थे.

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अब, बुधवार को की गई घोषणा के बाद, TRS का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और इसे अब BRS के रूप में जाना जाएगा. यहां जानते हैं कि TRS के बनने से लेकर उसके BRS में बदलने तक की कहानी.

TRS का इतिहास और BRS का जन्म क्यों हुआ?

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बुधवार को दशहरा की छुट्टी के बावजूद सड़कों पर टीआरएस के उत्साही कार्यकर्ताओं का हुजूम था, जिन्होंने रैली निकलकर नई राष्ट्रीय पार्टी की शुरुआत का स्वागत किया. सुबह 9 बजे से ही गुलाबी कपड़ों में पुरुषों और महिलाओं की रैलियां दिखीं, जिसमें केसीआर और उनके बेटे-आईटी मंत्री के. तारका रामा राव के समर्थन में जमकर नारे लग रहे थे.

बीआरएस के रूप में नई राष्ट्रीय पार्टी के लॉन्च को देखने के लिए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी और विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK) के नेता थोल थिरुमावलवन भी हैदराबाद में मौजूद थे.

मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पार्टी की शुरुआत करने के लिए दोपहर 12.30 बजे टीआरएस की आम सभा की बैठक की. बैठक में इसकी घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए. शुभ मुहूर्त माने जाने वाले दोपहर 1.19 बजे BRS का शुभारंभ हुआ.

नयी पार्टी बनने के मौके पर हैदराबाद में पार्टी कार्यकर्ताओं के इस जश्न ने लोगों को अलग राज्य की मांग को लेकर हुए तेलंगाना-व्यापी आंदोलन की भी याद दिला दी. यह आंदोलन केसीआर के अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने के साथ नवंबर 2009 में फिर से भड़क उठा था.

ऐसा माना जा रहा है कि केसीआर राष्ट्रीय मोर्चे की पार्टी लॉन्च कर उसी तरह की जीत को दोहराने की उम्मीद कर रहे हैं जैसा कि उन्हें टीआरएस के लॉन्च के साथ मिली थी.

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के. चंद्रशेखर राव ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के युवा नेता के रूप में राजनीति में एंट्री मारी थी. हालांकि इसके बाद उन्होंने तेलुगु देशम पार्टी (TDP) उस समय ज्वाइन कर लिया था, जब फिल्म स्टार से राजनेता बने एन टी रामाराव ने 1983 में पार्टी शुरू की थी. हालांकि जब उन्होंने सिद्दीपेट सीट से TDP के टिकट पर चुनाव लड़ा तो वह कांग्रेस उम्मीदवार के हाथों चुनाव हार गए.

लेकिन केसीआर ने बाद में वापसी की और 1985 में कांग्रेस से यह सीट जीतकर छीन ली. इसके बाद विधानसभा और लोकसभा- दोनों स्तर के चुनावों में उन्होंने 13 बार जीत हासिल की. इसमें केसीआर ने करीमनगर, महबूबनगर और मेडक की सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

2001 में, केसीआर ने TDP छोड़ दी और उन्होंने तेलंगाना राष्ट्र समिति नाम की नई पार्टी का गठन किया. उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और 2004 में केंद्रीय मंत्री भी बने. हालांकि, केसीआर ने कांग्रेस पर 'तेलंगाना मुद्दे' पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए गठबंधन तोड़ दिया और वह तेलंगाना नाम के अलग राज्य के गठन के लिए जोर देते रहे, जो कभी आंध्र प्रदेश राज्य का एक क्षेत्र था.

2009 में, जब तेलंगाना आंदोलन फिर से शुरू हुआ, तो उन्होंने TDP के साथ गठबंधन कर लिया. उस समय आंध्र में वाईएस राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में थी. लेकिन YSR के नाम से लोकप्रिय राजशेखर रेड्डी की इसी साल एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई, जिससे राज्य में तेलंगाना के गठन के लिए व्यापक आंदोलन के लिए मैदान खुला रह गया.

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केसीआर ने केंद्र सरकार में सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को आंध्र प्रदेश के विभाजन के लिए तैयार कर लिया. 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना बना था. हालांकि, केसीआर ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा था. 2014 में टीआरएस ने विधानसभा की 119 में से 63 सीटें जीती थीं. 2018 में उन्होंने उससे भी बढ़ी जीत के साथ फिर से सरकार बनाई क्योंकि टीआरएस ने 88 सीटें जीती थीं.

केसीआर 2021 के आखिर से, बीजेपी की नीतियों की आलोचना करते हुए इस राष्ट्रीय पार्टी का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने जुलाई 2022 में एक राष्ट्रीय पार्टी बनाने का संकेत दिया.

बुधवार को TRS की आम सभा ने सर्वसम्मति से TRS का नाम बदलकर BRS करने का फैसला किया. मिली जानकारी के अनुसार केसीआर 6 अक्टूबर को भारत के चुनाव आयोग को अपनी पार्टी का नाम बदलने की सूचना देंगे.

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