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सोनिया गांधी को लिखे खत के मुद्दों का नहीं निकला हल: सिब्बल

CWC बैठक में पत्र में बताए गए मुद्दों को रखा तक नहीं गया: कपिल सिब्बल

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कपिल सिब्बल समेत 23 नेताओं ने पिछले दिनों सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में बड़े बदलावों की मांग की थी. कपिल सिब्बल का कहना है कि उन्होंने अपने पत्र में जो मुद्दे उठाए थे, उनमें से किसी का भी समाधान नहीं निकाला गया.

सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में उन मुद्दों को रखा तक नहीं गया. ना ही उन पर कोई चर्चा हुई. पत्र के सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने पत्र लिखने वालों की आलोचना की थी.

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इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कपिल सिब्बल ने कहा कि जब पत्र लिखने वाले नेताओं पर हमले हो रहे थे, तब भी कांग्रेस का कोई नेता सामने नहीं आया. सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस को एक ऐसे अध्यक्ष की जरूरत है, जो नाम से भी अध्यक्ष हो और उसके पास सारी ताकतें भी हों.

राजनीति में अब वफादारी पर ही सबकुछ निर्भर: सिब्बल

सिब्बल ने कहा, "मैं किसी एक पार्टी की बात नहीं कर रहा, पर इस देश में राजनीति अब प्राथमिक तौर पर वफादारी पर निर्भर हो गई है. अब हमें इस वफादारी में कुछ जोड़ने की जरूरत है. वह जोड़ क्या होगा? वह जोड़ है मेरिट, समावेशीपन और किसी काम के लिए प्रतिबद्धता. उस अतिरिक्त जोड़ के तहत हमें सुनना होगा और बातचीत करनी होगी. राजनीति इन्हीं चीजों के बारे में है."

कांग्रेस के 23 नेताओं ने लिखा था पत्र

कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को लेटर लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव करने की मांग की थी. इन बदलाओं के तहत ऊपर से नीचे तक परिवर्तन की मांग की गई थी. लेटर लिखने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कई सासंद शामिल थे.

लेटर में 'पूर्णकालीन' और एक प्रभावी नेतृत्व की मांग की गई है, जो जमीन पर "सक्रिय और दिखाई" दे. लेटर में इस बात को माना गया है कि कांग्रेस अब युवाओं का विश्वास खो रही है और युवाओं ने नरेंद्र मोदी को बड़े पैमाने पर वोट दिया. लिखा गया कि नेतृत्व के ऊपर जारी अनिश्चित्ता के चलते पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ गया है, जिससे पार्टी कमजोर हुई है

बता दें सोनिया गांधी ने 2019 चुनावों में हार के चलते राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर कमान संभाली थी.

पत्र में ताकत के विकेंद्रीकरण, राज्य ईकाईयों को मजबूत करने की मांग और एक केंद्रीय संसदीय बोर्ड के साथ हर स्तर पर कांग्रेस संगठन में चुनाव करवाए जाने की अपील की गई थी.

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