कर्नाटक की एचडी कुमारस्वामी सरकार पर संकट मंडरा रहा है. कांग्रेस और जेडीएस कुमारस्वामी सरकार को बचाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. वहीं, बीजेपी कर्नाटक में तख्तापलट की तैयारी में जुटी है. सरकार से नाराज कांग्रेस विधायक बेंगलुरु छोड़ मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं और इसी होटल के बाहर बैठकर कॉफी की चुस्कियां ले रहा एक शख्स कुमारस्वामी सरकार और तख्तापलट की कोशिशों के बीच डटकर खड़ा हुआ है. कर्नाटक सरकार और तख्तापलट की कोशिशों के बीच खड़े इस शख्स का नाम है डीके शिवकुमार, जिन्हें कर्नाटक की सियासत में कांग्रेस के ‘ट्रबलशूटर’ के नाम से जाना जाता है.
यही वजह है कि कांग्रेस ने एक बार फिर अपने 'ट्रबलशूटर' डीके शिवकुमार को नाराज विधायकों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है.
कर्नाटक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद शनिवार से ही कांग्रेस के सात, जेडीएस के तीन और दो निर्दलीयों समेत 12 विधायक मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं.
सियासी संकट से निपटने की चुनौती
कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार पर जब संकट आया, तब कुमारस्वामी विदेश में थे. लेकिन कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने ऐसे मुश्किल वक्त में खुद सक्रियता दिखाते हुए बागी विधायकों को साधने की कोशिश की.
इतना ही नहीं, जब बागी विधायक बेंगलुरु छोड़कर मुंबई में जा ठहरे. तो 9 जुलाई की शाम शिवकुमार ने ऐलान किया कि वे बागी विधायकों से मिलने मुंबई जाएंगे.
डीके शिवकुमार के मुंबई आने की खबर मिलने के बाद ही बागी विधायकों ने मुंबई पुलिस से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई, जिसके बाद मुंबई पुलिस ने होटल के अंदर और बाहर सुरक्षा बढ़ा दी. होटल के बाहर पुलिस फोर्स को तैनात किया गया.
शिवकुमार जब मुंबई पहुंचे तो उन्हें होटल के गेट पर ही रोक लिया गया. इसके बाद शिवकुमार ने होटल के बाहर ही डेरा जमा लिया. मुंबई पुलिस ने उन्हें कॉफी ऑफर की. इस पर शिवकुमार ने कॉफी की चुस्कियां लेते हुए कहा कि वह विधायकों से मिलने के बाद ही वापस जाएंगे. इस दौरान बेंगलुरु में, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने राज्यपाल को एक पत्र सौंपा, जिसमें दावा किया गया कि शिवकुमार से विधायकों को खतरा है.
इस बीच बुधवार को दो और कांग्रेसी विधायकों ने स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया. इसके साथ ही गठबंधन के लिए लड़ाई लगभग खत्म हो गई है, लेकिन डीके शिवकुमार इस लड़ाई में विजयी होकर उभरे हैं, जो बीजेपी से आखिरी समय तक लड़े.
‘ट्रबलशूटर’ डीके शिवकुमार ने संभाला मोर्चा
बीती 6 जुलाई को जब 12 विधायकों ने स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा, तो डीके शिवकुमार ही पहले नेता थे जो स्थिति को संभालने के लिए सबसे पहले विधानसभा पहुंचे थे. विधानसभा में जब विधायक इस्तीफा सौंपने के लिए स्पीकर का इंतजार कर रहे थे, तब डीके शिवकुमार ने विधायकों को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने की भी कोशिश की.
इस दौरान उन्होंने एक विधायक के इस्तीफा पत्र फाड़ भी दिया. बाद में उन्होंने मीडिया को बताया-
हां, मैंने इस्तीफा फाड़ा. लेकिन मैंने ये कदम भावनाओं में बहकर उठाया था. उन्हें (विधायक) मेरे खिलाफ शिकायत दर्ज कराने दो. मैंने बहुत बड़ा रिस्क लिया था. मैंने ये कदम अपनी पार्टी और अपने दोस्तों को बचाने के लिए उठाया था.
इसके बाद 9 जुलाई को जब कांग्रेस के बड़े नेता बैठकों में व्यस्त थे, तब डीके शिवकुमार ने खुद ही मुंबई जाने का फैसला किया. ऐसा कहा जा रहा है कि शिवकुमार ने इसके लिए पार्टी के बड़े नेताओं से सलाह भी नहीं ली.
विधायकों को मनाने मुंबई पहुंचे डीके शिवकुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा-
हम अपने दोस्तों से मिलने आए हैं. हम राजनीति में एक साथ पैदा हुए थे, हम राजनीति में एक साथ मरेंगे. वे हमारी पार्टी के सदस्य हैं. हम उनसे मिलने आए हैं.
मुंबई में ठहरे बागी विधायकों का कहना है कि वह डीके शिवकुमार का सम्मान करते हैं, लेकिन मौजूदा हालातों में वह डीके शिवकुमार से नहीं मिलना चाहते हैं. कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि अगर नाराज विधायकों ने डीके शिवकुमार से बात कर ली, तो परिस्थितियां बदल सकती हैं.
कौन हैं डीके शिवकुमार?
- डीके शिवकुमार कर्नाटक की कनकपुरा सीट से विधायक हैं.
- एचडी कुमारस्वामी सरकार में मंत्री है
- इससे पहले वह कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार में ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं.
- डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश बेंगलुरु रूरल सीट से कांग्रेस के सांसद हैं.
- शिवकुमार देश के सबसे अमीर नेताओं में शामिल हैं. साल 2013 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने अपनी 250 करोड़ की संपत्ति बताई थी, जो अब बढ़कर 600 करोड़ हो गई है.
- डीके शिवकुमार कर्नाटक कांग्रेस में वोकालिग्गा समुदाय से आने वाले बड़े नेता हैं.
पहले भी निभा चुके हैं ‘संकटमोचन’ की भूमिका
ये पहला मौका नहीं है जब डीके शिवकुमार ने कांग्रेस के लिए ‘संकटमोचन’ की भूमिका निभाई है. इससे पहले डीके शिवकुमार ने साल 2002 में महाराष्ट्र सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी.
साल 2002 में महाराष्ट्र में विलासराव देशमुख की सरकार थी. इसी दौरान उन्होंने खिलाफ अविश्वास मत लाया गया. उस वक्त कर्नाटक के मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा ने अपने भरोसेमंद डीके शिवकुमार को कांग्रेस विधायकों को साधने की जिम्मेदारी सौंपी थी.
महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार बचाकर डीके शिवकुमार गांधी परिवार की नजरों में आ गए थे. इसके बाद से ही उन्हें कांग्रेस का ‘ट्रबलशूटर’ कहा जाने लगा.
महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दिन विधायकों को मुंबई ले जाने और सरकार बचाने के लिए शिवकुमार ने महाराष्ट्र के विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में ‘ईगलटन रिसॉर्ट’ में रखा था.
‘रिसॉर्ट’ से पहले भी बचाई थी कांग्रेस की लाज
शिवकुमार के पास एक आलीशान रिसॉर्ट है, जिसके जरिए उन्होंने कई बार कांग्रेस की मदद की है. साल 2017 में राज्यसभा चुनाव में गुजरात से कांग्रेस ने अहमद पटेल को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन इसी दौरान गुजरात में कांग्रेस के विधायक एक-एक कर बीजेपी में शामिल होने लगे.
ऐसी स्थिति में अहमद पटेल की जीत पर संकट मंडराने लगा. तब कांग्रेस के बचे 44 विधायकों को बेंगलुरु के पास ‘ईगलटन’ रिसॉर्ट में ठहराया गया था. ये रिजॉर्ट डीके शिवकुमार का ही था. इस बार भी डीके शिवकुमार की कोशिशें कामयाब हुई थीं, और अहमद पटेल राज्यसभा सदस्य चुन लिए गए थे.
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