ADVERTISEMENTREMOVE AD

वापसी का मौका नहीं चूकना चाहती BSP, गठबंधन बाद इस फॉर्मूले पर नजर

देखिए- सोशल इंजीनियरिंग में किसके हिस्से कितनी सीटें?

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती लोकसभा चुनाव 2019 में कोई मौका नहीं चूकना चाहती हैं. यही वजह है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में बीएसपी की वापसी के लिए पहले समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया और अब उनकी नजर सोशल इंजीनियरिंग पर है.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रियंका की पॉलिटिक्स में एंट्री के बाद मायावती और भी ज्यादा चौकन्नी हो गई हैं. यही वजह है कि बीएसपी के हिस्से में आईं सभी 38 सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर जातिगत आंकड़ों का भी खास खयाल रखा जा रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सोशल इंजीनियरिंग का सहारा

उत्तर प्रदेश में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद अब मायावती की नजर सोशल इंजीनियरिंग पर है. इसी सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए बहुजन समाज पार्टी ने छह लोकसभा सीटों पर मुस्लिम लोकसभा प्रभारी नियुक्त किए हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो ये संख्या 10 तक पहुंच सकती है. बता दें कि बीएसपी में लोकसभा प्रभारियों को ही बाद में उसी संसदीय सीट से उम्मीदवार बना दिया जाता है.

बीएसपी के हिस्से में जो 38 सीटें आई हैं, उनमें से 10 सीटें रिजर्व हैं. बाकी बची 28 सीटों पर टिकट बंटवारे में पार्टी सबसे ज्यादा तवज्जो जातीय गणित को दे रही है. इन 28 सीटों में से बीएसपी 9 सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवारों को उतारेगी. इसके अलावा बीएसपी कम से कम 9-10 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारना चाहती है. जबकि बाकी की बची 10 सीटों पर बीएसपी पिछड़ी जाति के उम्मीदवार उतार सकती है.

बीएसपी को ब्राह्मण वोटों की आस

पार्टी सूत्रों की मानें तो मायावती इस बार दलितों के बाद सबसे ज्यादा भरोसा ब्राह्मणों पर करने जा रही हैं. इसकी बड़ी वजह साल 2007 का विधानसभा चुनाव है. इस चुनाव में बीएसपी को ब्राह्मणों का साथ मिला था और मायावती ने दलित-ब्राह्मण कॉम्बिनेशन के सहारे सूबे में सरकार बनाई थी. इस चुनाव में बीएसपी के हिस्से गैर-यादव ओबीसी वोट यानी प्रजापति,स सैनी और दूसरी जातियों का भी वोट मिला था. हालांकि, मुस्लिमों का ज्यादातर वोट समाजवादी पार्टी के ही हिस्से आया था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुस्लिमों पर फिर दांव लगा रही हैं मायावती

मायावती 2019 में एक बार फिर मुस्लिमों पर दांव लगाने जा रही हैं. उत्तर प्रदेश में लगभग 19 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. ऐसा माना जाता है कि मुस्लिमों का ज्यादातर वोट समाजवादी पार्टी को जाता है. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने मुस्लिम वोट को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी. बीएसपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में किसी भी अन्य राजनीतिक दल की तुलना में सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. बीएसपी ने 19 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था, जबकि समाजवादी पार्टी ने 14 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि, दोनों ही पार्टियों के एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जीत हासिल नहीं हुई थी.

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी ने सबसे ज्यादा 99 मुसलमानों को टिकट दिया था. वहीं एसपी ने 62 और कांग्रेस ने 18 मुसलमानों को टिकट दिया था. हालांकि, बीएसपी के 99 मुस्लिम उम्मीदवारों में से केवल 5 को ही जीत हासिल हुई थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सोशल इंजीनियरिंग में किसके हिस्से कितनी सीटें?

सूत्रों के मुताबिक, बीएसपी अपने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले के तहत-

  • बीएसपी 8 से 9 सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतार सकती है
  • मुस्लिम उम्मीदवारों के खाते में भी 9 से 10 सीटें आएंगी
  • 10 से 11 सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं
  • 2 से 3 सीटों पर ठाकुर उम्मीदवार उतार सकती है
  • 6 से 7 सीटों पर ओबीसी उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×