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कमलनाथ ने किया इस्तीफे का ऐलान, कहा- BJP ने लोकतंत्र की हत्या की

ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी से इस्तीफे के बाद 22 विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.

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पिछले कुछ वक्त से जारी सियासी संकट के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफे का ऐलान किया है. कमलनाथ ने 20 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे का ऐलान किया.

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कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''15 महीनों में मेरा प्रयास रहा कि हम प्रदेश को नई दिशा दें, प्रदेश की तस्वीर बदलें. मेरा क्या कसूर था? इन 15 महीनों में मेरी क्या गलती थी?''

इसके अलावा उन्होंने कहा,

  • बीजेपी सोचती है कि मेरे प्रदेश को हराकर खुद जीत जाएगी, तो वो ऐसा कभी नहीं कर सकती
  • 15 महीने में हमारी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा. बीजेपी कितनी भी साजिश रचे, हम विकास के पथ पर चलते रहेंगे
  • प्रदेश की जनता का विश्वास हमारे साथ है. मुझे बीजेपी का प्रमाणपत्र नहीं चाहिए, प्रदेश की जनता का प्रमाणपत्र चाहिए
  • बीजेपी ने लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की है
  • मेरे पास पद हो या न हो, हम प्रदेश के हित में काम करते रहेंगे
  • मैं आज राज्यपाल को अपना इस्तीफा दूंगा
बता दें कि बीजेपी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार (20 मार्च) की शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया था, लेकिन कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया. 

ऐसे शुरू हुआ मध्य प्रदेश का हालिया सियासी संकट

मध्य प्रदेश का हालिया राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दिया. सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. उधर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिनमें से ज्यादातर को सिंधिया खेमे का बताया जा रहा है.

मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने पहले इन 22 में से 6 विधायकों के ही इस्तीफे स्वीकार किए थे. हालांकि उन्होंने गुरुवार देर रात बाकी के 16 विधायकों के इस्तीफे भी स्वीकार कर लिए.

अब मध्य प्रदेश विधानसभा का संख्याबल घटकर 206 हो गया है और बहुमत का आंकड़ा 104 हो गया है. दरअसल 230 सदस्यीय विधानसभा में 2 सीटें कुछ वक्त पहले से ही खाली थीं.

हालिया सियासी संकट के बीच बीजेपी ने राज्यपाल के सामने 106 विधायकों की परेड कराई थी, जो मौजूदा बहुमत के आंकड़े से ज्यादा संख्या है. इस तरह बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की राह साफ दिख रही है. वहीं, कांग्रेस के पास इस समय 92 विधायक बचे हैं. कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को 7 अन्य सहयोगी विधायकों का समर्थन भी हासिल था. हालांकि अब इन 7 विधायकों को मिलाकर भी कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से पीछे हो गई है.

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