महाराष्ट्र में एमएलसी चुनाव रिजल्ट (Maharashtra MLC Election Result) में एक बार फिर MVA गठबंधन को झटका लगा है. राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election) में मिली हार के बाद एमएलसी चुनाव में कांग्रेस (Congress), एनसीपी(NCP) और शिव सेना(Shiv Sena) ने अपने विधायकों को होटल में रखा था, लेकिन फिर भी देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने उन्हें मात दे दी. लेकिन ये हार महाविकास अघाड़ी गठबंधन को राज्यसभा चुनाव में मिली हार से ज्यादा चुभेगी क्योंकि बीजेपी के पास अपनी पांचवीं सीट जीतने के लिए 17-18 वोटों की जरूरत थी और उन्होंने वो जुगाड़ लिये.
पूरा समीकरण समझिये
महाराष्ट्र में 10 एमएलसी सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे. बीजेपी के पास 4 उम्मीदवार जिताने लायक वोट पूरे थे, लेकिन उन्होंने पांच उम्मीदवार खड़े किये और पांचवें को जिताना था जुगाड़ से. यही हाल कांग्रेस का भी था कांग्रेस के पास एक एमएलसी जिताने लायक वोट तो पक्के थे, लेकिन उन्होंने भी दो उम्मीदवार खड़े किये थे और दूसरे को जुगाड़ से जिताना था. लेकिन कांग्रेस को जरा बीजेपी से थोड़ा कम जुगाड़ लगाना था.
बहरहाल अब जरा आंकड़ों से समझ लीजिए कैसे किसने खेल किया. दरअसल 9 सीटों का बंटवारा हो चुका था. बीजेपी ने 4, एनसीपी और शिवसेना ने दो-दो और कांग्रेस ने एक सीट पर जीत दर्ज कर ली अब बाकी बची दसवीं सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी में लड़ाई थी.
कांग्रेस का संख्या बल कितना था?
कांग्रेस के पास महाराष्ट्र में 44 विधायक हैं और एक एमएलसी को 26 वोट देने के बाद 18 विधायक बचते थे. इसके अलावा उन्हें शिवसेना के 3 सरप्लस और 7 उनके निर्दलीय समर्थकों के वोट का भी वादा मिला था. यानी कांग्रेस को एक वोट की और जुगाड़ करना था.
बीजेपी का संख्या बल कितना था?
महाराष्ट्र में बीजेपी के पास अपने 106 विधायक हैं. अगर उनके समर्थकों को भी मिला दिया जाये तो उनके वोटों की संख्या बनती थी 113. यानी 4 एमएलसी बनाने के लिए उनके 104 वोट खर्च हो गए और पांचवें के लिए 26 और वोटों की जरूरत थी. और उनके पास बचे थे 9 वोट.
बीजेपी ने कितने वोटों का और कैसे जुगाड़ किया?
बीजेपी को अपने समर्थकों का वोट मिलने के बाद भी 17 वोटों की जरूरत थी. अगर राज्यसभा चुनाव में मिले वोटों को भी स्थिर मान लिया जाये तब भी 7-8 वोटों की जरूरत थी. क्योंकि राज्यसभा चुनाव क वक्त बीजेपी को कुल 123 वोट मिले थे. लेकिन इस बार देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि उन्हें कुल 134 वोट मिले हैं, यानी जितने की जरूरत थी उससे भी एक ज्यादा. और इस तरह बीजेपी ने अपने पांचवें उम्मीदवार को भी विजयी करवा दिया.
चुनाव से पहले क्या बन रहे थे समीकरण ?
शिवसेना विधायक रमेश लटके का निधन होने और दो NCP के दो विधायकों-नवाब मलिक और अनिल देशमुख के जेल में होने के कारण 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्यों की प्रभावी संख्या घटकर 285 रह गई. मलिक और देशमुख को हाई कोर्ट ने मतदान की अनुमति नहीं दी थी. विधान परिषद चुनाव जीतने के लिए प्रति उम्मीदवार पहली वरीयता के वोटों का कोटा 26 था. बीजेपी के पास 106 विधायक, शिवसेना के पास 55, कांग्रेस के पास 44 और एनसीपी के पास 52 विधायक हैं.
निर्दलीय और छोटे दलों के पास कितनी ताकत?
महाराष्ट्र एमएलसी चुनाव में 20 निर्दलीय, 2 एसपी, 2 पीजीपी और 2 AIMIM विधायकों का वोट बेहद अहम था. इनके बिना किसी भी दल को 10वीं सीट जीतने में मुश्किल पैदा हो रही थी. क्योंकि महाराष्ट्र में 10 विधान परिषद की सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे और कांग्रेस के उम्मीदवार को अपने विधायकों के अलावा 4 शिव सेना का सेरप्लस और 12 अतिरिक्त विधायकों की जरूरत थी जबकि बीजेपी 22 अतिरिक्त विधायकों की आवश्यकता थी.
किस पार्टी से कौन जीता ?
बीजेपी के प्रवीण दरेकर, श्रीकांत भारतीय, प्रसाद लाड, रामशिंदे और उमा खापरे जीते हैं.
शिवसेना के सचिन अहिर और आमश्या पाड़वी ने जीत दर्ज की.
NCP के राम राजे निंबालकर और एकनाथ खडसे को जीत मिली है.
कांग्रेस के चंद्रकांत हंडोरे हारे, जबकि भाई जगताप को जीत हासिल हुई.
बीजेपी ने MVA को 10 दिन के अंदर दी दो बार मात
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सत्ताधारी गठबंधन को 10 दिन के अंदर एक तरीके से दो बार मात दी है. पहले 11 जून को शिवसेना के राज्यसभा उम्मीदवार को हराया और उसके बाद 20 जून को एमएलसी चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को मात दे दी.
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