पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अब खुद ये साफ कर दिया है कि वो लोकसभा चुनावों में विपक्ष का चेहरा बन सकती हैं. ममता ने एक रैली के दौरान कहा है कि टीएमसी अकेले ही बीजेपी को हराने के लिए काफी है. यानी ममता ने 2024 की पूरी तैयारी कर ली है और विपक्षी दलों को ये मैसेज दिया है कि वही पीएम मोदी को टक्कर दे सकती हैं. ममता खुद के लिए विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से ही पिच तैयार करने में जुटी है.
BJP पर बड़ी जीत के बाद ममता ने ठोका दावा
उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के साथ-साथ विपक्ष की नजर अब 2024 लोकसभा चुनावों पर भी है. इसके लिए एक बार फिर विपक्षी एकजुटता की बात कही जा रही है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी वही सवाल सामने है कि आखिर चेहरा कौन होगा? फिलहाल इसके लिए दो ही नाम सामने आते हैं, पहला कांग्रेस नेता राहुल गांधी का और दूसरा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम है.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्रियों के लाव लश्कर के बावजूद ममता बनर्जी ने बड़ी जीत हासिल कर ये दावा ठोक दिया कि वो पीएम मोदी और बीजेपी के सामने खड़ी हो सकती हैं.
दिल्ली में विपक्षी एकजुटता की पहल
इसके बाद ममता के तेवर देख साफ लगा कि वो लोकसभा चुनावों की तैयारी में हैं और बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती हैं. उन्होंने खुद विपक्षी नेताओं से एकजुट होने की अपील की और अपने दिल्ली दौरे का ऐलान किया. दिल्ली में तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए सभी को एकजुट होकर लड़ना होगा. साथ ही जाते-जाते ये मैसेज भी देकर गईं कि अब उनके दिल्ली दौरे चलते रहेंगे.
इसके बाद से ही ममता को विपक्ष के चेहरे के तौर पर देखा जाने लगा. उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी. टीएमसी नेताओं को जहां मौका मिलता है, वहीं वो ममता को विपक्ष का चेहरा बता देते हैं. इस तरह ममता के पक्ष में पूरा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है.
ममता का विपक्षी दलों को साफ संदेश
लेकिन अब ममता बनर्जी के बयान ने कहीं न कहीं विपक्षी दलों में हलचल शुरू कर दी होगी. दरअसल ममता बनर्जी को रोम में होने वाले एक शांति सम्मेलन का न्योता मिला था, जिसमें पोप फ्रांसिस और जर्मन चांसलर समेत तमाम बड़े लोग आएंगे. लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया. मौका देखते ही ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र और पीएम मोदी को घेरा और इसी दौरान उन्होंने सीधी चुनौती भी दे दी. ममता बनर्जी ने कहा,
"हमें अपनी आजादी की सुरक्षा करनी होगी. तालिबानी बीजेपी भारत को नहीं चला सकती है. बीजेपी को हराने के लिए टीएमसी अकेली ही काफी है. भवानीपुर से खेला शुरू होगा और ये तब खत्म होगा, जब हम पूरे देश में जीत दर्ज करेंगे."
विपक्षी एकता के लिए खतरा साबित हो सकती है TMC की रणनीति
अब कुल मिलाकर टीएमसी और खुद ममता बनर्जी इस रणनीति पर काम कर रहे हैं कि लोकसभा चुनावों तक उनके पक्ष में पूरा माहौल तैयार हो जाए. हालांकि भले ही ये रणनीति ममता बनर्जी को 2024 तक वाकई में एक बड़े चेहरे के तौर पर पेश करे,
लेकिन इससे विपक्षी एकता भंग होने का बड़ा खतरा भी है. क्योंकि बिना अन्य दलों की चर्चा के अगर टीएमसी खुद ही ममता को विपक्ष के चेहरे के तौर पर पेश करने लगी है तो ऐसे में कांग्रेस जैसी पार्टियां बिफर सकती हैं. साथ ही ममता जिस विपक्षी एकजुटता की बागडोर संभालने की कोशिश कर रही हैं, वो 2024 तक पहुंचने से पहले ही टूट सकती है.
इसका एक बड़ा खतरा ये भी है कि अगर टीएमसी और ममता की इस कोशिश में विपक्षी एकता भंग हुई तो बीजेपी को इसका सबसे बड़ा फायदा मिल सकता है. क्योंकि ऐसे में हर विपक्षी दल सिर्फ एक दूसरे का ही वोट काटने का काम करेगा. इसीलिए मैदान में अकेले फ्रंट फुट पर खेल रही टीएमसी को बाकी खिलाड़ियों के आने का भी इंतजार करना होगा.
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