मुलायम सिंह यादव और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अपने पुराने संगठन लोकदल के बैनर तले एक सेक्युलर मोर्चा बना सकते हैं. लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने यह दावा किया है. 23 सितंबर होने वाले राज्य सम्मेलन से पहले पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ शिवपाल धड़े की सक्रियता बढ़ गई है.
पहले ही मुलायम की अध्यक्षता वाले लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से अखिलेश के प्रमुख सलाहकार रामगोपाल यादव को हटा दिया गया है. ऐसी अटकलें जोरों पर हैं कि अब मुलायम और शिवपाल समाजवादी पार्टी छोड़कर अलग रास्ता अपनाएंगे.
शिवपाल ने पहले ही किया था दावा
शिवपाल काफी पहले से ही मुलायम की अगुवाई में समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के गठन की बात कह रहे हैं, लेकिन यह अभी तक वजूद में नहीं आया है. इस बीच, लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने दावा किया कि मुलायम और शिवपाल उनके साथ होंगे और मिलकर एक सेक्युलर मोर्चा बनाएंगे.
सोमवार को होने वाली मुलायम की प्रेस कांफ्रेंस में वह भी उनके साथ मौजूद रहेंगे. बता दें कि मुलायम कभी लोकदल के भी संस्थापक सदस्य थे. शिवपाल के करीबी सुनील ने बताया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश और शिवपाल खेमों के बीच सुलह-समझौते की गुंजाइश अब बाकी नहीं दिख रही है. लिहाजा शिवपाल को अपने भविष्य के बारे में फैसला करना ही होगा और सेक्युलर मोर्चा अब बनकर रहेगा.
मुलायम और शिवपाल के लोकदल के बैनर तले काम करने के सुनील सिंह के दावे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा नेताजी समाजवादी शब्द को तो नहीं छोड़ना चाहेंगे. सोमवार को सारी स्थिति साफ हो जाएगी, जब नेताजी अपने भविष्य की रणनीति का खुलासा करेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी संभावना जताई कि अगर मुलायम ऐन वक्त पर अपनी प्रेस कांफ्रेंस का कार्यक्रम निरस्त कर दें, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक लोकदल एक पंजीकृत और गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है. इसकी स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह ने वर्ष 1980 में की थी और मुलायम उसके संस्थापक सदस्य थे.
प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त जब सपा में अन्तर्कलह चरम पर थी और मुलायम ने खुद को पार्टी के मामलों से लगभग अलग कर लिया था, उस वक्त भी उनके अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं. उस समय भी लोकदल अध्यक्ष सुनील सिंह ने उनसे अपनी पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ने की पेशकश की थी.
(इनपुट भाषा से)
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