ADVERTISEMENTREMOVE AD

नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रमुख बनाना आसान नहीं, 5 बड़े मुद्दे हैं वजह

Amarinder Singh बनाम Navjot Singh SIdhu कांग्रेस गुटबाजी का इकलौता पहलू नहीं

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कांग्रेस हाई कमांड ने अमृतसर पूर्व के विधायक नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को समन किया है. ये समन उस शांति फॉर्मूले की खबर के एक दिन बाद आया है, जिसके लिए कहा गया था कि पंजाब कांग्रेस का संकट (Punjab Congress Crisis) खत्म हो गया है. सिद्धू 16 जुलाई की सुबह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के आवास पर पहुंचे थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कहा जा रहा है कि शांति प्रस्ताव के तहत पंजाब कांग्रेस का प्रमुख सिद्धू को बनाया जाएगा, जबकि विधानसभा चुनाव अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

प्रस्ताव में दो कार्यकारी अध्यक्ष- एक दलित और एक कथित सवर्ण हिंदू की नियुक्ति की भी बात है. साथ ही एक या उससे ज्यादा डिप्टी सीएम भी बनाने की बात चर्चा में है ताकि जाति और क्षेत्रीय संतुलन बना रहे.

0
सिद्धू का कद बढ़ाए जाने के सवाल पर पंजाब के कांग्रेस इंचार्ज हरीश रावत ने संकेत दिया कि ऐसा हो सकता है. हालांकि, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वो राज्य ईकाई में बदलाव की बात कर रहे थे.

इसी बीच सिद्धू ने 15 जुलाई को अमरिंदर सिंह के समर्थक से बागी में बदले तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखजिंदर रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात की थी. हालांकि, कहा जा रहा है कि अमरिंदर ने सिद्धू की बैठक के खिलाफ आवाज उठाई है और वो सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के भी खिलाफ हैं. अगर अमरिंदर मान भी जाते हैं तो वो कुछ बागियों को सजा भी दे सकते हैं.

क्या सिद्धू की नियुक्ति से पंजाब में कांग्रेस का संकट खत्म होगा या मुश्किलें और बढ़ेंगी? यहां पांच पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है:

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1. अमरिंदर बनाम सिद्धू कांग्रेस गुटबाजी का इकलौता पहलू नहीं

अमरिंदर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच का तनाव सबसे ज्यादा चर्चा में है, लेकिन कांग्रेस में गुटबाजी की ये अकेली कहानी नहीं है.

अमरिंदर हमेशा से कभी न कभी रजिंदर कौर भट्टल और परताप सिंह बाजवा के खिलाफ रहे हैं. पिछले चार साल से सिद्धू बड़े अमरिंदर-विरोधी चेहरे रहे हैं. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में अमरिंदर के खिलाफ बगावत बढ़ गई है.

माझा एक्सप्रेस माझा क्षेत्र के मंत्रियों को कहा जाता है. इनमें सुखजिंदर रंधावा, तृप्त रजिंदर बाजवा और सुखबिंदर सरकारिया जैसे लोग शामिल हैं. ये पहले अमरिंदर समर्थक हुआ करते थे लेकिन अब बगावत कर रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
जो नेता अमरिंदर-विरोधी या सिद्धू-समर्थक नहीं हैं, जैसे कि- कांग्रेस प्रमुख सुनील कुमार जाखड़, कई कैबिनेट मंत्री और पंजाब यूथ कांग्रेस प्रमुख बरिंदर ढिल्लों ने विधायक फतेहजंग बाजवा और राकेश पांडे के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियां देने के अमरिंदर सिंह के फैसले का विरोध किया है.

इनमें से कुछ नेता वापस अमरिंदर के साथ आ गए हैं. ढिल्लों ऐसे ही एक नेता हैं. लेकिन कई बड़े नाम अब भी अमरिंदर को दूसरा कार्यकाल दिए जाने के खिलाफ हैं.

वजह साफ है- पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस की लोकप्रियता काफी घट गई है और कई विधायकों को लगता है कि अमरिंदर उन्हें दोबारा चुनाव नहीं जिता सकते हैं. इससे हम दूसरे पहलू पर आते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2. अमरिंदर की लोकप्रियता गिरी लेकिन क्या सिद्धू समाधान हैं?

पंजाब में कम से कम दो बड़े सर्वे ने अमरिंदर की गिरती लोकप्रियता पर रोशनी डाली है. जनवरी में हुए CVoter सर्वे में अमरिंदर सिंह को पांच सबसे कम लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों के बीच जगह दी गई थी.

प्रश्नम के एक सर्वे के मुताबिक, अमरिंदर दूसरे सबसे कम लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं. उनसे नीचे सिर्फ उत्तराखंड के सीएम थे.

जमीनी स्तर पर भी ये सुनना आम हो गया है कि 'अमरिंदर ने कुछ नहीं किया.' मुख्य आरोप है कि वो बरगाड़ी अपवित्रीकरण मामले में बादल परिवार पर सख्त नहीं हुए और ड्रग ट्रैफिकिंग के आरोपों में बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. बाकी आरोप ड्रग की समस्या दूर न करना, या सैंड माइनिंग और ऊर्जा संकट पर कुछ न करना हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
पंजाब के वोटर का एक बड़ा हिस्सा अमरिंदर और बादल परिवार दोनों से परेशान हो चुका है और वो विकल्प ढूंढ रहा है. आम आदमी पार्टी (AAP) ये विकल्प बनने की कोशिश कर रही है.

दो मुख्यधारा की पार्टियों में किसी तरह की साख रखने वाले सिर्फ सिद्धू ही बचे हैं. कांग्रेस, अकाली और बीजेपी के खिलाफ बोलने वाले वोटर भी सिद्धू को अलग नजर से देखते हैं.

करतारपुर साहिब कॉरिडोर खुलवाने में अहम भूमिका निभाकर सिद्धू ने सिख वोटरों के बीच नाम बनाया है. अमरिंदर और बादल परिवार से उलट सिद्धू की छवि भी साफ है. उनके खिलाफ आलोचना सिर्फ पार्टी बदलने और जिम्मेदारी न उठाने को लेकर है.

लेकिन सिद्धू को सामने लाना समाधान का एक हिस्सा है. अगर कांग्रेस दोबारा चुनाव जीतना चाहती है तो असफलताओं पर काम करना होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

3. जाति और क्षेत्रीय समीकरण भी देखना होगा

सिद्धू को कांग्रेस प्रमुख बनाने से एक और असंतुलन पैदा हो सकता है- कि सीएम और पार्टी प्रमुख दोनों जाट सिख होंगे. कांग्रेस दलितों की आलोचना झेल रही है कि उनका प्रतिनिधित्व ठीक से नहीं हुआ है. फिर पार्टी के लिए कथित ऊंची जाति और OBC हिंदू वोट भी मायने रखते हैं और 2017 में पार्टी को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. सुनील जाखड़ जैसे सम्मानीय नेता को हटाकर इस समुदाय के गले शायद ही उतरेगा.

सिद्धू की नियुक्ति से क्षेत्रीय संतुलन शायद ही बिगड़े क्योंकि वो माझा क्षेत्र से विधायक हैं और अमरिंदर मालवा से. फिर भी कांग्रेस को तीन क्षेत्रों के बीच संतुलन बिठाना है. दोआबा क्षेत्र को भी प्रतिनिधित्व देना होगा और इस क्षेत्र से किसी दलित को कार्यकारी अध्यक्ष या डिप्टी सीएम बनाना एक संभावना हो सकती है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

4. दो चेहरों को सामने करने में दिक्कत

सिद्धू को पार्टी प्रमुख बनाने से वो सीएम पद के दावेदार भी बन सकते हैं. उनके पास टिकट बंटवारे में ज्यादा ताकत होगी और अगर पार्टी को बहुमत मिलता है तो संभावना है कि कई विधायक उनके साथ होंगे.

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने पार्टी प्रमुख को ही सीएम पद दिया था. राजस्थान में पार्टी ने सबसे वरिष्ठ नेता को चुना.

दो चेहरे और दो पावर सेंटर होना पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता है. कोई गारंटी नहीं है कि सभी गुट चुनाव में साथ काम करेंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

5. सिद्धू की नियुक्ति से कांग्रेस नेतृत्व के बारे में क्या पता चलेगा?

अगर सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाता है तो ये राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लिए बड़ा कदम होगा. सिद्धू को राहुल गांधी का और उससे ज्यादा प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है. ऐसा कहा जा रहा है कि सिद्धू को बड़ा ओहदा दिलाने में प्रियंका गांधी का अहम योगदान है.

सिद्धू के पार्टी प्रमुख बनने से साबित होगा कि प्रियंका का प्रभाव भी पार्टी में बढ़ रहा है और कांग्रेस हाई कमांड अमरिंदर सिंह जैसे ताकतवर क्षेत्रीय नेता की तरफ मुखर रवैया रखती है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×