लोकसभा चुनाव में 303 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 50 सीटें जीतने वाले अपने सहयोगियों को इस बार केंद्रीय कैबिनेट में चार पद दिए हैं. तीन को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि एक को राज्यमंत्री बनाया गया है. पिछली मोदी सरकार में एनडीए के गैर बीजेपी दलों से 7 मंत्री थे. सबसे बड़ी बात ये है कि बिहार में बीजेपी की सहयोगी JDU मंत्रिमंडल में पर्याप्त जगह नहीं मिलने के कारण नाराज हो गई है.
राम विलास पासवान, कैबिनेट मंत्री
बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी LJP से राम विलास पासवान को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. पासवान चुनाव नहीं लड़े लेकिन फिर भी उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई है. हालांकि उनके बेटे चिराग पासवान चुनाव लड़े और जीते भी. पार्टी के कुल 6 सांसद चुन कर आए. कह सकते हैं कि अगर चिराग को कैबिनेट में जगह मिलती तो शायद वो राज्यमंत्री बनते. इसलिए ये दांव खेलकर LJP ने अपने लिए कैबिनेट मंत्री का बर्थ बुक कर लिया.
पासवान पिछली मोदी सरकार में भी रसायन और उर्वरक के कैबिनेट मंत्री थे. पिछली बार भी इस पार्टी से एक ही मंत्री थे. इन्होंने सन 2000 में जेडीयू से अलग होकर LJP बनाई थी.
हरसिमरत कौर बादल, कैबिनेट मंत्री
पंजाब में एनडीए का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. लेकिन इसके बावजूद मोदी कैबिनेट में हरसिमरत कौर बादल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. पिछली बार भी हरसिमरत ही मोदी सरकार का हिस्सा थीं. उनके पास फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय था. पार्टी ने इस बार दो सीटें जीती हैं.
अरविंद सावंत, कैबिनेट मंत्री
महाराष्ट्र में एनडीए ने 41 सीटें जीती हैं. बीजेपी को 23 और शिवसेना को 18 सीटें मिली हैं. पिछली बार भी शिवसेना को कैबिनेट में एक सीट मिली थी, इस बार भी एक सीट मिली है. पिछली बार अनंत गीते कैबिनेट में थे, इस बार वो चुनाव हार गए. उनकी जगह अरविंद सावंत सरकार में शिवसेना का प्रतिनिधित्व करेंगे. शिवसेना वो पार्टी है जिसने एनडीए में बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं. तो उम्मीद थी कि शिवसेना से दो सांसद मंत्री बन सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
अरविंद सावंत वो सांसद हैं जिन्होंने साउथ मुंबई से कांग्रेस के दिग्गज नेता मिलिंद देवड़ा को हराया. याद होगा इन्हीं मिलिंद देवड़ा के पक्ष में मुकेश अंबानी प्रचार करते नजर आए थे.
रामदास अठावले, राज्यमंत्री
RPI के रामदास अठावले को पिछली बार की तरह राज्यमंत्री बनाया गया है. इस मामले में कह सकते हैं कि बीजेपी ने पूरी तरह से गठबंधन धर्म को निभाया है. क्योंकि रामदास न चुनाव लड़े न ही उनका कोई सांसद जीतकर आया है.
जिन सहयोगियों को कुछ नहीं मिला
बिहार में बीजेपी की सहयोगी JDU को 16 सीटें जीतने के बाद भी कैबिनेट में कोई जगह नहीं मिली है. कह सकते हैं कि मोदी के नेतृत्व में एनडीए की दूसरी सरकार की शुरुआत में ही कलह हो गई. JDU नेता नीतीश कुमार ने खुलकर कहा कि उन्हें सिर्फ एक मंत्री पद दिया जा रहा था, जो पार्टी को कबूल नहीं हुआ. इसके बाद पार्टी ने सरकार से बाहर रहने का फरमान सुना दिया.
यूपी में दो सीटें जीतने वाली अपना दल से किसी को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है. पिछली बार अपना दल से अनुप्रिया पटेल कैबिनेट में थीं. यूपी में बीजेपी ने 80 में 62 सीटें जीती हैं.
दो सीटें जीतने वाली नगालैंड पिपुल्स पार्टी, असम गण परिषद, केरल कांग्रेस, 1-1 सीटें जीतने वाली AJSU, और AIADMK को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है.
पिछली सरकार में बीजेपी सहयोगी दलों के मंत्री
- अनुप्रिया पटेल- अपना दल
- रामविलास पासवान- LJP
- अनंत गीते- शिवसेना
- वाईएस चौधरी- TDP
- रामदास अठावले- RPI
- उपेंद्र कुशवाहा- RLSP
- हरसिमरत कौर बादल- शिरोमणि अकाली दल
पिछली बार के सहयोगी रहे TDP और RLSP इस बार एनडीए के साथ नहीं है. कह सकते हैं कि अपने बल पर बहुमत से भी ज्यादा सीटें जीतने वाली बीजेपी ने गठबंधन धर्म निभाया है, हालांकि RPI, LJP जैसी पार्टियों के लिए जगह बना पाने में कामयाब बीजेपी 16 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार के लिए पर्याप्त बर्थ नहीं रख पाई, ये चौंकाता है.
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