ADVERTISEMENTREMOVE AD

कश्मीर पर क्या है सरकार का ‘प्लान’, कब हटेंगी पाबंदियां?

जम्मू-कश्मीर प्रशासन पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को कब करेगा रिहा

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आर्टिकल 370 पर फैसला लेने से पहले जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती जनहानि से बचने के लिए की थी. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर घाटी में पाबंदियां जनहानि से बचने के लिए लगायी गई थीं. उन्होंने कहा कि लोगों की आवाजाही और संचार सुविधाओं पर लगायी गई पाबंदियों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा रही है.

अधिकारी ने कहा कि इन पाबंदियों को स्थानीय अधिकारियों के आकलन के बाद ही हटाया जाएगा. उन्होंने कहा कि एहतियात के तौर पर गिरफ्तार किए गए पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद ही जम्मू कश्मीर प्रशासन रिहा करेगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर दुविधा, असुविधा और जनहानि के बीच है, अगर दुविधा, फर्जी खबरों से जनहानि होने और लोगों की सुविधाओं के बीच है, तो हमें क्या चुनना चाहिए?’’ उन्होंने कहा-

‘‘हालांकि, प्रशासन लोगों के सामने आ रही परेशानियों से परिचित है और असुविधाओं को कम करने का प्रयास कर रहा है. ऐसा कोई भी निर्णय स्थानीय प्रशासन ही लेगा.’’
0

पाबंदियों से कब मिलेगी आजादी

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अनुसार कश्मीर घाटी में लोगों की आवाजाही और संचार सुविधाओं पर लगाई गई पाबंदियां चरणबद्ध तरीके से कम की जा रही हैं और संबंधित स्थानीय अधिकारियों के आकलन के बाद जम्मू संभाग में सामान्य स्थिति बहाल हो गई है.

जम्मू कश्मीर प्रशासन के प्रधान सचिव और प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि कश्मीर के भागों में संबंधित स्थानीय अधिकारियों के आकलन के आधार पर चरणबद्ध तरीके से पाबंदियों में ढील दी जा रही है. प्रधान सचिव ने कहा-

‘‘हम यह आशा करते हैं कि (15 अगस्त के) स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के विभिन्न जिलों में चल रहे ‘फुल ड्रेस रिहर्सल’ के समाप्त होने के बाद और ज्यादा ढील (पाबंदियों में) दी जाएगी.’’
ADVERTISEMENTREMOVE AD

ईद पर दी गई थी ढील

लगभग हफ्ते भर पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने के केंद्र के फैसले के बाद सुरक्षा कारणों को लेकर ये पाबंदियां लगाई गई थीं.

कश्मीर में सबसे पहले नौ अगस्त को पाबंदियों में ढील दी गयी ताकि लोग स्थानीय मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा कर सकें. सोमवार को ईद-उल-अजहा से पहले भी पाबंदियों में ढील दी गयी.  

कंसल ने कहा कि प्रशासन राज्य के सभी हिस्सों में (पाबंदियों में) ढील देने की नीति अपना रहा है और सोमवार को ईद का त्योहार और नमाज शांतिपूर्ण रहे. उन्होंने कहा कि निरंतर यह कोशिश की जा रही है कि लोगों को रोक-टोक का सामना नहीं करना पड़े और उन्हें हरसंभव तरीके से सुविधाएं मुहैया की जाए.

प्रधान सचिव ने कहा कि जहां तक संचार की बात है, स्थानीय लोगों के लिए 300 ‘पब्लिक बूथ’ स्थापित किये गए हैं, जहां से वे अपने सगे-संबंधियों और अन्य लोगों से बात कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि सभी तरह की मेडिकल सेवाएं सामान्य रूप से और निर्बाध रूप से जारी हैं.  

नई दिल्ली में एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब जम्मू कश्मीर में प्रतिबंध लगाए गए हैं और इसी तरह की स्थिति 2016 में उत्पन्न हुई थी जब हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकवादी बुरहान वानी मारा गया था. अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस सप्ताहों तक चलने वाली ‘हड़तालों’ का आह्वान करता रहा है.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हालात सामान्य करने के लिये सरकार को ‘‘समुचित समय’’ दिया जाना चाहिए.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×