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पंजाब नगर निगम चुनाव: कांग्रेस का क्लीन स्वीप, BJP की बड़ी हार

नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत, 53 साल बाद बठिंडा की सीट कांग्रेस के खाते में आई

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पंजाब में हुए निकाय चुनावों के नतीजे अब सामने आ रहे हैं, जिसमें बीजेपी को भारी नुकसान होता नजर आ रहा है. वहीं कांग्रेस लगातार बढ़त बनाए हुए है. पंजाब की सातों नगर निगम चुनावों में कांग्रेस ने क्लीन स्वीप की है. इसके अलावा 53 साल बाद बठिंडा की सीट कांग्रेस के खाते में आई है, जिसे पार्टी नेता बड़ी कामयाबी मान रहे हैं. इन चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस उम्मीदवारों और समर्थक जश्न में डूबे हैं.

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नगर निगम से बीजेपी का सूपड़ा साफ

बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले करीब तीन महीने से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके अलावा 26 जनवरी को हुई हिंसा मामले में भी पंजाब के कई लोग अब तक जेल में हैं. निकाय चुनावों में इन तमाम चीजों का असर बताया जा रहा है. बीजेपी एक भी नगर निगम चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाई. 14 फरवरी को कुल 109 नगर निकाय और 7 नगर निगमों के लिए वोट डाले गए थे.

इस क्लीन स्वीप में, कांग्रेस ने अबोहर में 50 वार्ड में से 49 पर जीत हासिल की, जबकि शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने एक जीता. होशियारपुर के 50 वार्ड में से, कांग्रेस ने 31 वार्ड जीते. बीजेपी ने चार वार्ड जीते, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने दो जीते. हालांकि, अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने कोई वार्ड नहीं जीता.
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कांग्रेस को जमकर फायदा

मोगा में, कांग्रेस ने 50 वार्ड में से 20 जीते, जबकि अकाली दल न 15 के साथ दूसरे स्थान पर रही. निर्दलीय उम्मीदवारों ने 10 वार्ड जीते, जबकि आप और बीजेपी ने क्रमश: चार और एक वार्ड जीते. भवानीगढ़ नगरपालिका परिषद में, कांग्रेस ने 15 में से 13 सीटें जीतीं, जबकि अकाली दल और निर्दलीय ने एक-एक सीट जीती. बीजेपी और आप किसी भी सीट को हासिल करने में कामयाब नहीं रहे.

चुनाव अधिकारियों ने बताया कि 116 शहरी स्थानीय निकायों के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना जारी है. बूथ कैप्चरिंग और झड़प के आरोपों के बीच, राज्य में 14 फरवरी को 39,15,280 मतदाताओं के साथ 71.39 प्रतिशत मतदान हुआ था.

मोहाली में अनियमितताओं की रिपोर्ट के कारण दो बूथों में रिपोलिंग के बाद नगर निगम के लिए मतगणना गुरुवार को होगी. शहरी स्थानीय निकायों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस, विपक्षी आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल के बीच है.

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अकाली दल के बिना बीजेपी ने अकेले लड़ा चुनाव

केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध का सामना कर रही बीजेपी अकालियों के बिना दो दशकों में पहली बार चुनाव लड़ रही है, जो एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी हैं, जिन्होंने कृषि कानूनों को लेकर पार्टी से किनारा कर लिया.

कस्बों और शहरों के स्थानीय मुद्दे भी चुनाव प्रचार के दौरान हावी रहे थे. सात नगर निगमों अबोहर, बठिंडा, बटाला, कपूरथला, होशियारपुर, पठानकोट और मोगा - और 109 नगरपालिका परिषदों और नगर पंचायतों के लिए काउंटिंग हुई. 2,302 वार्डों के लिए कुल 9,222 उम्मीदवार मैदान में थे.

विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल?

राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले ये चुनाव अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के लिए एक 'सेमीफाइनल' है, जो कृषि कानूनों के खिलाफ लोगों की नाराजगी को अपनी भुनाने की कोशिश में है.

निकाय चुनावों की काउंटिंग से पहले मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने चुनाव में धांधली के आरोप पर बीजेपी और आप पर निशाना साधा. मुख्यमंत्री ने कहा, "इन चुनावों में यह उनकी घबराहट की प्रतिक्रिया है." अमरिंदर सिंह ने कहा कि इन सभी दलों ने पंजाब को बर्बाद करने के लिए एक साथ काम किया है. काला कृषि कानून इसमें नवीनतम है.

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