पाकिस्तान की जनता नई सरकार का चुनाव करने के लिए तैयार है. तमाम राजनीतिक पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में आम चुनाव के बाद सत्ता में आने पर आतंकवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का वादा किया है. ऐसे में पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव को लेकर भारत में भी काफी दिलचस्पी है. पाकिस्तान में किस पार्टी की नई सरकार बनेगी और कौन प्रधानमंत्री बनेगा, इस बात पर दोनों देशों में चर्चा गर्म है.
पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को पंजाब प्रांत जीतना जरूरी है. यानी कि जिसने पंजाब जीत लिया, उसने पाकिस्तान की सत्ता पर भी कब्जा जमा लिया. इसके पीछे वजह ये है कि पंजाब प्रांत पाकिस्तान का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है. पाकिस्तान की करीब आधी आबादी पंजाब प्रांत में रहती है.
क्या है पाकिस्तान का चुनावी गणित?
पाकिस्तान में कुल 342 सीटों के लिए वोटिंग होनी है. इसमें से 272 सीटों पर सीधे चुनाव होंगे और 70 सीटें रिजर्व हैं. किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कम से कम 172 सीटें चाहिए. नेशनल असेंबली की कुल 342 सीटों में से 147 सीटें पंजाब प्रांत में ही हैं. इसके अलावा सिंध में 61, खैबर में 39, बलूचिस्तान में 16 सीटें हैं.
पाकिस्तान में राजनीतिक पार्टियां तो बहुत हैं लेकिन तीन पार्टियों के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. पाकिस्तान में सबसे कड़ी टक्कर सिर्फ इन तीन बड़ी पार्टियों के बीच है.
- इमरान खान की पार्टी: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI)
- नवाज शरीफ की पार्टी: पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (PML-N)
- बिलावल अली भुट्टो की पार्टी: पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP)
पनामा पेपर मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर नवाज शरीफ 13 जुलाई से जेल में हैं और ऐसे में उनके बाद उनके भाई शाहबाज शरीफ पार्टी की कमान संभाले हुए हैं. इमरान खान साल 1997 से राजनीति में हाथ आजमा रहे हैं, इस बार उनका सपना सच हो सकता है. बिलावल अली भुट्टो पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं. वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.
सर्वे में इमरान खान ने नवाज को पछाड़ा
पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ के सर्वे के मुताबिक, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान इस बार पाकिस्तान में पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बना सकते हैं. 18 से 45 साल उम्र के लोगों के बीच किए गए सर्वे में 85.45 फीसदी लोगों ने पीटीआई को वोट देने की बात कही. इनमें से 35.66 फीसदी ऐसे वोटर हैं, जिन्होंने 2013 में नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन) को वोट दिया था. वहीं पीएमएल और पीपीपी के पक्ष में सिर्फ 9.43 फीसदी और 1.73 फीसदी लोग ही पक्ष में हैं.
डॉन के इस सर्वे में पाकिस्तान के पंजाब से सबसे ज्यादा लोगों (46.23%) ने वोट किया है. ऐसे में इमरान की पार्टी नवाज शरीफ के किले में सेंध लगा सकती है. अगर इस चुनाव में पीटीआई बहुमत से जीत हासिल करती है, तो इमरान खान पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री होंगे.
एक दूसरे सर्वे के मुताबिक भी इमरान की पार्टी को नवाज से ज्यादा वोट मिल रहे हैं. इस सर्वे के मुताबिक, नवाज शरीफ की पार्टी को 27 फीसदी और इमरान खान को 30 फीसदी वोट मिल सकते हैं. जबकि पीपीपी के खाते में 17 फीसदी वोट जाने का अनुमान है.
गैलप सर्वे के मुताबिक सिर्फ नवाज की पार्टी पीएमएल-एन को इमरान की पार्टी से ज्यादा वोट जाने का अनुमान है. लेकिन यहां ये बढ़त सिर्फ 1 फीसदी ही है. ओपिनियन पोल के मुताबिक, पीएमएल-एन को 26 फीसदी लोग वोट देने के पक्ष में हैं जबकि पीटीआई को 25 फीसदी. वहीं पीपीपी को 13 फीसदी वोट जाने का अनुमान था.
पाकिस्तान चुनाव से संबंधित 10 खास बातें
- पाकिस्तान में 342 सीटों के लिए कुल 3,459 उम्मीदवार चुनावी मैदान पर हैं.
- पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के मुताबिक, पाकिस्तान में कुल 10,59,55,407 रजिस्टर्ड वोटर हैं. इनमें 4,67,31,145 महिला और 5,92,24,262 पुरुष वोटर हैं. बता दें, पाकिस्तान की आबादी 20 करोड़ से ज्यादा है.
- पाकिस्तान में 96.28 फीसदी इस्लाम, 1.6 फीसदी हिंदू और 1.59 फीसदी लोग ईसाई धर्म को मानने वाले हैं.
- पाकिस्तानी आम चुनाव के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब महिला उम्मीदवार बड़ी संख्या में भाग ले रही हैं.
- पाकिस्तानी नेशनल असेंबली की 272 सीटों पर 171 महिला उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रही हैं.
- बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख की चचेरी बहन नूरजहां भी चुनावी अखाड़े में हैं.
- साल 1947 से लेकर अब तक पाकिस्तान के इतिहास में 18 प्रधानमंत्री बन चुके हैं और इनमें से कोई भी 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया.
- फेसबुक ने पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव से पहले सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के लिए एक टीम लगाई है.
- चुनाव की पारदर्शिता पर नजर रखने के लिए कई मतदान केंद्रों पर ट्रांसजेंडर समुदाय के 125 सदस्य ऑब्जर्वर के तौर पर तैनात किए जाएंगे.
- इस बार पाकिस्तान में चुनावी अभियान के दौरान आतंकियों के आत्मघाती हमले भी हुए हैं. पिछले एक महीने में चुनावी रैलियों और सभाओं में हुए हमलों में कुछ उम्मीदवारों समेत 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
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