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EXCLUSIVE | कैशलेस में पेट्रोलियम मंत्रालय टॉप: धर्मेंद्र प्रधान

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उनका मंत्रालय 10 पर्सेंट कैशलेस ट्रांजेक्शन से 25 पर्सेंट तक आ गया है. 

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नोटबंदी के बाद देशभर में कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ने को लेकर बात हो रही है. केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों से इस तरफ तेजी लाने को कहा है. पेट्रोलियम मंत्रालय देश की इकोनॉमी में काफी बड़ा योगदान करता है.

इन तमाम मुद्दों के बीच द क्विंट के सम्पादकीय निदेशक संजय पुगलिया ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से बात की. इस इंटरव्‍यू को हम यहां पेश कर रहे हैं:

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सवाल: आपका मानना है कि कैशलेस ट्रांजेक्शन के मामले में आपके मंत्रालय में सबसे ज्यादा काम हुआ है. लेकिन हमें लगता है कि यह थोड़ा ही आगे बढ़ा है, जबकि अभी काफी काम बाकी है.

जवाब: ऐसा नहीं है. हमने देशभर में मार्केटिंग के काम से जुड़े अपने अधिकारियों के साथ मीटिंग की. इसमें जो रिव्यू रिपोर्ट सामने आई है, उसके मुताबिक, नोटबंदी के पहले 10 पर्सेंट कैशलेस ट्रांजेक्शन होता था. यह अब बढ़कर 25 पर्सेंट हो गया है. 10 से 25 पर्सेंट पर आना छोटी बढ़त नहीं है. यह लगभग 100 पर्सेंट से ज्यादा बढ़त है.

अभी 53 हजार पेट्रोल पंपों में से 32 हजार पर पीओएस मशीन लगी है. हम बैंकों से बात करके बाकी जगहों पर भी ये व्यवस्था लागू कर रहे हैं. हमें अनुमान है कि आने वाले 2-3 महीनों में हम 50 पर्सेंट कैशलेस ट्रांजेक्शन की तरफ जाएंगे. इसके अलावा बड़े पैमाने पर डिजिटल वॉलेट की सुविधा भी हमारे पेट्रोल पंपों पर है. इसलिए पेट्रोल पंपों पर एक बड़ी राशि हम कैशलेस करवा पाएंगे.

वित्त मंत्री जी ने हमें सालाना तौर पर 2 लाख करोड़ रुपये के कैशलेस ट्रांजेक्शन का लक्ष्य दिया है. लेकिन हमारा अनुमान है कि अपने 7 लाख करोड़ के ट्रांजेक्शन में से 3.5 लाख करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन कैशलेस कर लेंगे.

सवाल: अगर इतनी तेजी से देश को हम डिजिटल इकोनॉमी की तरफ पुश कर रहे हैं, तो साइबर सेफ्टी भी इसका अहम पहलू है. लेकिन इसके लिए जो इन्फ्रास्ट्रक्चर होने चाहिए, वे अभी नहीं हैं. आईटी एक्ट है, लेकिन साइबर सिक्योरिटी जैसा कोई कानून नहीं है. लोगों की चिंता है कि पैसे में कोई गड़बड़ी हुई, तो उसे ट्रेस करना मुश्किल होगा.

जवाब: बाकी काम के साथ-साथ इन सभी मसलों पर भी एक्‍सपर्ट्स ने काम शुरू कर दिया है. हमारा अनुमान है कि जल्द ही इस दिशा में भी अहम कदम उठा लिया जाएगा. इसमें अभी कोई बड़ी चुनौती या दिक्कत नजर नहीं आ रही है.

सवाल: एक बार फिर क्रूड ऑयल के रेट ऊपर जा रहे हैं. इधर पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़े हुए हैं. तो क्या ये आशा की जाए कि‍ सरकार ड्यूटीज या अन्य किसी चीज में कुछ फेरबदल करेगी, जिससे ग्राहकों को सहूलियत हो?

जवाब: अभी वो समय नहीं आया है. जनवरी आने दीजिए. ओपेक और नॉन ओपेक देशों के उत्पादन में जो कमी आई है, उसके प्रभाव का सही अंदाजा तब तक सामने आएगा. इसके अलावा अमेरिका के सेल गैस उत्पादन की तस्वीर भी साफ हो जाएगी. तभी इस स्थिति का सही अंदाजा लगाया जाएगा. फिलहाल हम किसी बड़े फैसले की तरफ नहीं जा रहे हैं. हमें लगता है कि तब तक दाम स्‍थ‍िर हो जाएंगे.

सवाल: 2016 खत्‍म हो रहा है और हम नए साल में प्रवेश कर रहे हैं. पेट्रोलियम मंत्री होने के नाते अगर मैं आपसे पूछूं कि आपका पिछले साल का सबसे बड़ा अचीवमेंट क्या रहा? अगले साल में आपका सबसे बड़ा एजेंडा क्या होगा?

जवाब:

प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री ने बजट में ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ का कार्यक्रम पेश किया था. इसमें आने वाले पांच साल में सरकार के ग्रांट से 5 करोड़ महिलाओं को एलपीजी का बीपीएल कनेक्शन देना था. इस वित्त वर्ष में 1.5 करोड़ महिलाओं को कनेक्शन दे देना है. आज हम दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हैं. मई के पहले दिन से शुरू किए गए इस कार्यक्रम में हम अभी तक 1 करोड़ 20 लाख माताओं-बहनों के घर में कनेक्शन पहुंचा चुके हैं. बिना बिचौलियों के, सीधे गरीबों के हाथ में कनेक्शन पहुंचाया गया है. इसे मैं सबसे बड़ी उपलब्धि मानता हूं.

दुनिया में जिस तरह जियो-पॉलिटिक्स बदल रही है, 2017 में भारत अगर अपनी ऊर्जा सुरक्षा पूरी कर ले, उतना अच्छा होगा. हाइड्रोकार्बन स्रोतों से आगे नॉन फॉसिल हाइड्रोकार्बन में हमें बड़ा स्कोप दिखता है. शहर और ग्रामीण इलाकों के कचरे से भी हाइड्रोकार्बन बनाया जा सकता है. ऐसी टेक्नोलॉजी हमारे हाथ लग चुकी है. इससे हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को बड़ी मात्रा में पूरा कर सकते हैं. 2017 में इसके लिए भारत में बहुत बड़ी पहल होने वाली है.

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सवाल: आप बीजेपी और सरकार के मंत्री ही नहीं, एक जमीनी कार्यकर्ता भी हैं. नोटबंदी के फैसले इसके अमल से होनी वाली दिक्कतें तो दूर हो जाएंगी, लेकिन इकोनॉमी के स्लोडॉउन का खतरा पैदा हुआ है. क्या आप मानते हैं कि नोटबंदी को लागू करने के तरीके के साथ-साथ आइडिया में भी गलती थी.

जवाब: जी नहीं, आइडिया में कोई गलती नहीं थी. जब इस प्रकार का बड़ा ऑपरेशन होता है, तब शत-प्रतिशत हम जैसा चाहें, वैसा नहीं हो पाता. दुनिया में ऐसा कभी नहीं हो पाया और भारत में भी नहीं हो पाएगा. लेकिन गरीबों ने जिस तरह कष्ट के बावजूद प्रधानमंत्री पर भरोसा किया है, इसे जिस तरह जन-आंदोलन का विषय बनाया है, इससे भारतीय लोकतंत्र को एक नई सीख मिली है कि अगर आप ईमानदारी से पहल करेंगे, तो जनता आपका साथ देगी.

इसमें एक सामूहिक उलझन और धुंधलापन दिख रहा है. लेकिन हमें दिख रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था एक नई करवट ले रही है. 2016 में जीएसटी, डिमॉनेटाइजेशन और रिमॉनेटाइजेशन के कदमों ने भारत की स्थिति को बहुत ऊपर कर दिया है. जनता ने इसमें साथ दिया है.

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