अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू कांग्रेस की सरकार के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं. साथ ही चोवना मेन ने उपमुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है.
एक दिन पहले ही पार्टी ने नए नेता का चयन कर अपने सभी बागियों का नाटकीय तरीके से समर्थन हासिल कर लिया था. दिवंगत मुख्यमंत्री दोरजी खांडू के 37 वर्षीय बेटे पेमा देश में सबसे युवा मौजूदा मुख्यमंत्री बने हैं. वह पूर्वोत्तर के इस छोटे से राज्य के नौवें मुख्यमंत्री हैं. उन्हें और मेन को राज्यपाल तथागत राय ने इटानगर के राजभवन में पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई.
जल्द होगा मंत्रिमंडल विस्तार
दोरजी खांडू की एक विमान दुर्घटना में साल 2011 में मृत्यु हो गई थी. शपथ लेने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए पेमा ने कहा कि राज्यपाल के राज्य में लौटने के बाद ही उनके मंत्रालय का विस्तार होगा. राय त्रिपुरा के राज्यपाल हैं. उनके पास अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी है.
पेमा ने कहा कि वह राज्य के विकास के लिए निर्वाचित नेताओं में ‘टीम अरुणाचल’ की भावना डालेंगे. उन्होंने कहा,
राज्य के सभी निर्वाचित नेताओं को राजनीतिक दलों से ऊपर उठते हुए विकास प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जाएगा.
बड़ी मुश्किल रही सीएम पद की डगर
राजनीति में अपने पिता की सहायता करने से लेकर सीएम पद पर पहुंचने तक पेमा ने एक लंबा सफर तय किया है. विधानसभा में बहुमत साबित करने के कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले कांग्रेस विधायक दल ने पेमा को नबाम तुकी की जगह अपना नेता चुना. तुकी को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद पर बहाल किया था. तुकी को राज्यपाल ने शक्ति परीक्षण का निर्देश दिया था. फिर पेमा ने पार्टी के 45 विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के आधार पर सरकार गठन के लिए दावा पेश किया था.
वहीं, निवर्तमान मुख्यमंत्री कालिखो पुल भी 30 बागी विधायकों के साथ पार्टी में लौट आए. इस कदम ने बीजेपी को अचंभित कर दिया, जिसने उनकी सरकार का समर्थन किया था. 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस अब दो निर्दलीय सहित 47 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा कर रही है.
अब तक सियासी सफरनामा
अपने परिवार के सबसे बड़े बेटे पेमा दिल्ली के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएट हैं. अपने पिता की मृत्यु के बाद वह शासन में जल्दी ही प्रवेश कर गए थे. पेमा तवांग के रहने वाले हैं. अपने पिता की मृत्यु से खाली हुई सीट को भरते हुए उन्होंने साल 2011 में पहली बार अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में प्रवेश किया.
मुक्तो (एसटी) सुरक्षित सीट से विधायक के रूप में वे निर्विरोध चुने गए थे. जल्द ही उन्हें कैबिनेट मंत्री के तौर पर राज्य सरकार में शामिल कर लिया गया था. आम चुनाव के बाद तुकी सरकार में उन्हें 1 जून, 2014 को शहरी विकास मंत्री के रूप में शामिल किया था. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और बागी कालिखो पुल के साथ हो गए थे.
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