गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. गोरखपुर से डॉक्टर सुरहिता को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है वहीं फूलपुर लोकसभा सीट से मनीष मिश्रा उम्मीदवार हैं. बीजेपी समेत दूसरी पार्टियों ने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं.
गोरखपुर और फूलपुर की लोकसभा सीटों के लिए 11 मार्च को वोटिंग होगी और नतीजे 14 मार्च को आएंगे. गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट से केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे. बाद में योगी के सीएम और केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद ये दोनों सीटें खाली हो गईं थीं.
योगी सरकार के एक साल पूरे होने के बाद सबसे बड़ा मुकाबला सीएम और डिप्टी सीएम के गढ़ में ही है. फूलपुर में जहां बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की थी वहीं गोरखपुर में 1991 के बाद से ही बीजेपी की सरकार है.
फूलपुर सीट का राजनीतिक 'गणित'
पिछले 5 लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर साल 2014 में बीजेपी को जहां 52 % वोट मिले, वहीं कांग्रेस, बीएसपी, एसपी के कुल वोटों की संख्या महज 43 % ही रह गई.
साल 2014 लोकसभा चुनाव की मोदी ‘लहर’ से पहले बीजेपी एक बार भी ये सीट जीत नहीं सकी, केशव प्रसाद मौर्य ने ‘लहर’ का फायदा उठाते हुए 5 लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत हासिल की.
बीएसपी के लिए ये सीट अहम
अटकलें ये भी लगाई जा रही थी कि इस सीट से बीएसपी अध्यक्ष मायावती चुनाव लड़ सकती हैं. ये वही सीट है जहां से साल 1996 के लोकसभा चुनावों में बीएसपी के संस्थापक कांशीराम हार चुके हैं. कांशीराम को समाजवादी पार्टी उम्मीदवार जंग बहादुर पटेल ने 16 हजार वोटों से हराया था.
गोरखपुर सीट का राजनीतिक 'गणित'
पिछले 29 साल से गोरखपुर सीट से लगातार गोरक्षपीठ का दबदबा रहा है. साल 1989 में पीठ के महंत अवैद्यनाथ ने हिंदू महासभा की टिकट पर चुनाव लड़ा और 10 फीसदी वोट शेयर के अंतर से जनता दल के उम्मीदवार रामपाल सिंह को मात दी थी. 1991 और 1996 के चुनाव में अवैद्यनाथ ने बीजेपी की टिकट से जीत हासिल की थी. फिर 1998 से लगातार 2 दशक तक यानी अबतक इस सीट पर बीजेपी के टिकट पर योगी आदित्यनाथ काबिज हैं.
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