लखनऊ के कांग्रेस मुख्यालय नेहरू भवन में पत्रकारों की भीड़ जुटी थी. छोटे-बड़े मीडिया संस्थानों के तमाम नामचीन और गुमनाम पत्रकार उस ऐतिहासिक लम्हे को अपनी नजरों में कैद करने के लिए पहुंचे थे. यह कांग्रेस महासचिव और नेहरू-गांधी परिवार की प्रियंका गांधी की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. उन्होंने और उनकी टीम ने भी इस अवसर को और खास बनाने की तैयारी की थी.
लेकिन उसी बीच जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले की खबर पहुंची. प्रियंका गांधी अपने सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पत्रकारों के बीच आईं. फिर उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेस रद्द करने का फैसला सुना दिया. सभी ने शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखा और वहां से विदा हो लिए.
शब्द जितने थोड़े हैं, संदेश उतना ही व्यापक है
मौन की भाषा, भाव की भाषा बहुत गहरी होती है. प्रियंका के इस मौन के संदेश भी बहुत गहरे हैं. उन्होंने इस फैसले से वहां मौजूद सभी लोगों को अपने व्यक्तित्व की व्यापकता का अहसास कराया है.
उन्होंने आतंकी घटना पर दुख जताते हुए बस इतना कहा, “यह समय राजनीतिक चर्चा के लिए अनुचित है. कांग्रेस ही नहीं पूरा देश शहीद जवानों के परिवार के साथ खड़ा है.”
प्रियंका के ये थोड़े से शब्द वहां मौजूद सभी संजीदा दिलों को छू गए. उनके जाने के बाद सब यही चर्चा करते रहे कि प्रियंका ने कितना कमाल काम किया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस की धमक होती, लेकिन जवानों की शहादत का मान रखते हुए, मानवीय संवेदनाओं के आधार पर उन्होंने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द की है, इस फैसले की गूंज दूर तक और देर तक सुनाई देगी.
तिनका-तिनका जोड़ कर मजबूत किला बनाने में जुटी हैं प्रियंका
प्रियंका गांधी पूर्वी उत्तर प्रदेश का कार्यभार संभालने के बाद 11 फरवरी से लखनऊ दौरे पर हैं. वो पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं. छोटे-छोटे नेताओं और छोटे दलों को जोड़ कर एक ऐसा गठजोड़ तैयार करने में जुटी हैं जो बीजेपी और एसपी-बीएसपी की मजबूत खेमेबंदी का मुकाबला कर सके.
बुधवार को महान दल और कांग्रेस के औपचारिक गठबंधन का भी ऐलान किया गया था. उसी की गवाही के तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रियंका अपने साथ महान दल के मुखिया केशव देव मौर्य को लेकर पहुंची थीं. प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर, जहां महान दल के अन्य नेताओं के साथ वहां पहले से ही मौजूद थे.
पिछले कुछ साल से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं का दूसरी पार्टियों में पलायन का सिलसिला चल रहा है, प्रियंका ने इस धारा को उल्टी दिशा में मोड़ दिया है. चार दिन में ऐसा माहौल तैयार किया कि बीजेपी के विधायक अवतार सिंह भडाना और बीजेपी के बड़े नेता राम लाल राही कांग्रेस में शामिल हो गए. ये लोग भी इस अवसर पर मौजूद थे.
अवतार सिंह भडाना फरीदाबाद और मेरठ से चार बार सांसद रह चुके हैं. वहीं रामलाल राही पूर्व मंत्री हैं और उनके बेटे सुरेश राही सीतापुर जिले के हरगांव से बीजेपी के विधायक हैं. संख्या भले ही कम है मगर शुरुआत अच्छी है.
कांग्रेस के साथ आ सकते हैं शिवपाल यादव
इस मौके पर यूपी की राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा तेज है कि शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातचीत आखिरी दौर में है. कुछ सूत्रों का तो यह भी दावा था कि अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द नहीं हुई होती, तो गुरुवार को ही कांग्रेस-शिवपाल गठबंधन का ऐलान हो गया होता. अब इस घोषणा में कुछ वक्त और लग सकता है.
प्रियंका गांधी के चार दिवसीय दौरे का निचोड़ क्या निकला और चुनाव को लेकर क्या रणनीति बनाई गई होगी, इसको लेकर हमने बात की यूपी के सीनियर टीवी पत्रकार पंकज झा से, जिनका साफ तौर से कहना है.
प्रियंका फिलहाल होमवर्क कर रही हैं. पहले वो रायबरेली और अमेठी की जनता से मिलती थीं. अब पूर्वांचल की जिम्मेदारी मिलने के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर गठबंधन के नेताओं से मिल रही हैं. कार्यकर्ताओं में जोश जरूर है लेकिन ग्राउंड लेवल पर वो बात दिखती नहीं है, जितना शोर है.
इसके साथ ही पंकज का यह भी मानना है कि प्रियंका ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करके लोगों का दिल जीत लिया है. आने वाले दिनों में प्रियंका जो मुश्किल सियासी संघर्ष कर रही हैं, उसमें उनको काफी मदद मिलेगी.
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