आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों (UP Elections) की सरगर्मियां तेज हो गई हैं लेकिन राजनैतिक पंडितों का मानना है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी 'कांग्रेस' (Congress) की हालत इन चुनावों में भी सुधरेगी इसकी उम्मीद कम है.
हालांकि कांग्रेस ने यूपी खुद को सहारा देने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) को चुनावी मैदान में उतार दिया है. अगले साल होने वाले यूपी चुनावों के लिए प्रियंका अगले महीने कई मेगा रैलियां करने की योजना बना रही हैं.
कई मेगा रैलियों की तैयारी
खबरों के अनुसार प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी में कांग्रेस की खोई हुई जमीन फिर से हासिल करने के उद्देश्य से कई मेगा रैलियों की योजना बना रही हैं. समाचार एजेंसी एएनआई की एक खबर के मुताबिक प्रियंका 29 सितंबर को मेरठ में रैली कर सकती हैं.
मेरठ में रैली से इरादा साफ है कि कांग्रेस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का फायदा उठाकर जनता में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही है.
अकेले प्रियंका अक्टूबर में यूपी में सात से आठ रैलियां कर सकती हैं. कांग्रेस प्रियंका की रैलियों में भारी भीड़ जुटाकर उन्हें एक जन नेता के तौर पर दिखाना चाहती है.
2024 के लोकसभा चुनावों पर भी कांग्रेस की नजर
कांग्रेस की यूपी चुनावों के जरिए 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी नजर है. 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस को महज 52 सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस अपने इस प्रदर्शन को सुधारना चाहती है.
इससे पहले कांग्रेस ने 14 सितंबर को केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ एक कैंपेन निकालने का फैसला किया था. इस कैंपेन के जरिए कांग्रेस केंद्र की बीजेपी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है, जिसमें महंगाई, बेरोजगारी, किसान आंदोलन, राफेल और पेगासस जैसे मुद्दे शामिल होंगे. कांग्रेस का यह कैंपेन 2024 लोकसभा चुनावों तक चरणबद्ध तरीके से चलता रहेगा.
पिछले यूपी चुनाव में कैसा था कांग्रेस का हाल
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस कोई खास प्रदर्शन करने में नाकाम रही थी 403 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 7 सीटें आई थी.
जबकि इसी चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड 312 सीटों पर कब्जा किया था और उनके हिस्से में कुल 39.67 प्रतिशत वोट शेयर आया था. समाजवादी पार्टी को इसमें 47 और बीएसपी को 19 सीटें मिली थी.
ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद होगी कि प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी के लिए संजीवनी बनकर उभरे और कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन फिर से हासिल कर ले.
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