कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने लगता है कि पंजाब कांग्रेस में चल रही लड़ाई में बाजी अपनी ओर झुका ली है. उनके प्रतिद्वंदि माने जाने वाले प्रताप सिंह बाजवा ने जो बयान दिया है उसे सुनकर लगता है कि वो फिलहाल सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) बनाम कैप्टन की जंग में कैप्टन की तरफ आकर खड़े हो गए हैं. बाजवा ने कहा है कि सबसे योग्य कर्नल को भी जनरल बनने में वक्त लगता है. माना जा रहा है कि उनका इशारा सिद्धू की तरफ था. क्योंकि पंजाब में सिद्धू सत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका लिए नाराज चल रह हैं.
दोनों गुटों के बीच सुलह के लिए सोनिया गांधी के साथ बैठक से पहले बाजवा का बयान अमरिंदर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
अमरिंदर और बाजवा की मुलाकात?
इससे पहले 17 जून को खबर आई कि अमरिंदर सिंह ने चंडीगढ़ में राज्य सभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा से मुलाकात की है. हालांकि बाजवा ने मुलाकात से इंकार किया है. लेकिन शुक्रवार को बाजवा के बयान के बाद मुलाकात होने न होने का ज्यादा मतलब रह नहीं गया है. ऐसा लगता है कि अमरिंदर अपने विरोधियों को भी सिद्धू के मुद्दे पर अपने साथ करने में कामयाबी पा रहे हैं.
बाजवा और सिंह के बीच तनाव पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद से बताया जाता है, जब बाजवा की जगह सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था. अभी तक प्रताप सिंह बाजवा को बागी विधायकों के समर्थन में देखा जा रहा था. वो अमरिंदर सिंह के खुले आलोचक हैं.
हालांकि, अगर सिंह और बाजवा मतभेद खत्म करके साथ आते हैं तो पार्टी आलाकमान के लिए अमरिंदर पर कोई कार्रवाई करना मुश्किल हो जाएगा.
अमरिंदर की कुर्सी पर खतरा?
अमरिंदर सिंह अपने विधायकों और नवजोत सिंह सिद्धू के निशाने पर हैं लेकिन पार्टी आलाकमान उन्हें क्लीन चिट दे चुका है. सोनिया गांधी ने खड़गे के नेतृत्व में तीन सदस्यों का एक पैनल पंजाब भेजा था. इसने अपनी रिपोर्ट में सिंह को मुख्यमंत्री बनाए रखने की सलाह दी है.
खबरें हैं कि पैनल ने विधायक, सांसद, संगठन, चुनावों के असफल उम्मीदवार समेत करीब 150 नेताओं से बातचीत की है.
लेकिन ऐसा लगता है कि सोनिया इससे संतुष्ट नहीं हुई हैं. क्योंकि पैनल में शामिल रहे और महासचिव इंचार्ज हरीश रावत का कहना है कि सोनिया ने पंजाब में स्वतंत्र सर्वे का आदेश दिया है.
क्यों है पार्टी में कलह?
पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली है. विधायक परगट सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ अन्य नेताओं ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
सिद्धू की पत्नी को चुनाव में टिकट न मिलने के बाद से ही उनके और अमरिंदर सिंह के बीच तनाव बना हुआ है. कुछ विधायकों का आरोप है कि अमरिंदर शिरोमणि अकाली दल के टॉप नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में नरम पड़ रहे हैं.
बागी विधायकों का कहना है कि इससे संकेत मिलते हैं अमरिंदर और बादल परिवार के बीच कोई सांठगांठ है. कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा कह चुके हैं कि कलह को 'अमरिंदर बनाम सिद्धू' बनाना गलत है.
एडिशनल एडवोकेट जनरल रमीजा हकीम का इस्तीफा
इस लड़ाई और तनाव का एक ताजा परिणाम ये है कि एडिशनल एडवोकेट जनरल रमीजा हकीम ने इस्तीफा दे दिया है. रमीजा पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा की पत्नी हैं. अतुल नंदा को अमरिंदर सिंह का करीबी कहा जाता है. रमीजा हकीम ट्रांसपोर्ट माफिया केस समेत कई संवेदनशील मामले संभाल रही थीं.अमरिंदर सरकार पर हमलावर हुए राज्य के कई कांग्रेस नेता नंदा की अध्यक्षता वाले लीगल डिपार्टमेंट पर भी हमला बोल रहे हैं. रमीजा हकीम ने पिछले साल अगस्त में भी अपने पद से इस्तीफा दिया था. हालांकि, तब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इसे मंजूर नहीं किया था.
इस बार रमीजा का इस्तीफा मंजूर किया गया है. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा, "मैं अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस और प्रोफेशनल करियर पर ध्यान देना चाहती हूं." सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पंजाब में तीन सदस्यों का पैनल भेजा था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कई विधायकों ने इस पैनल से लीगल डिपार्टमेंट की शिकायत की थी.
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