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यहीं फंसा है पेच, टीम अखिलेश मांग रही है ‘बाहरी’ की बलि

अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया है कि आप चाचा हो, सब कुछ ले लो, सब आपका है लेकिन मेरी एक बात माननी पड़ेगी.

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समाजवादी पार्टी के यादव कुनबे में महाभारत अभी बदस्तूर जारी है. जब ये लगने लगा था कि‍ तमाम मुद्दे सुलझने की तरफ बढ़ रहे हैं, तो टीम अखिलेश ने 'बाहरी की बलि' की शर्त रखकर आग में फिर से घी डालने का काम कर दिया है. ये बाहरी कौन है ? 


ये जगजाहिर हो चुका है कि ये और कोई नहीं, बल्कि अमर सिंह हैं. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ जो नेता खुलकर खड़े दिख रहे हैं, वो हैं रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और अमर सिंह के पुराने मुखर विरोधी आजम खान है. 

'आप चाचा हो, सब कुछ ले लो'

गुरुवार रात से चली बैठकों के दौर के बाद अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल के मंत्रिमंडल और अध्यक्ष पद के इस्तीफे की पेशकश को दो बार ठुकरा दिया है. अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया है, ''आप चाचा हो, सब कुछ ले लो, सब आपका है. लेकिन मेरी एक बात माननी पड़ेगी.'' इसी 'एक बात' में फसाद की सारी जड़ें हैं और वो ये है कि पहले 'बाहरी की बलि' दो.  

पार्टी सूत्र भी यही बताते हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने चाचा से छीने गए सारे महत्वपूर्ण मंत्रालय लौटाने को तैयार हैं, वो भी पूरे सम्मान के साथ. लेकिन वो सिर्फ एक बात पर अड़े हुए है कि बाहरी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए. जाहिर है अखिलेश इस बाहरी को और बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं.  


लेकिन शिवपाल के लिए इस पर हामी भरना शायद उनकी राजनीतिक और व्यक्तिगत मजबूरी है. इस मोड़ पर अमर सिंह को छोड़ना शायद उन्हें नागवार गुजर रहा है और पेच यहीं फंसा है. शायद पुराना साथ और पुरानी दोस्ती आड़े आ रही है. 

'पार्टी नहीं छोड़ेंगे, पार्टी को मजबूत बनाएंगे'

देखा जाए तो बीती रात मंत्री पद और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद से शिवपाल के तेवर नरम पड़े हैं. शुक्रवार सुबह समर्थकों से उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि नेता जी का सन्देश उनके लिए आदेश है. हम सब नेता जी के साथ हैं पार्टी नहीं छोड़ेंगे. पार्टी के लिए काम करेंगे और पार्टी को मजबूत करेंगे. 


मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस झगड़े को पहले ही पारिवारिक नहीं, बल्कि सरकार का झगड़ा करार दे चुके हैं. उन्होंने बिना लाग-लपेट के ये  भी कह दिया कि जब तक सरकार के कामकाज में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप रहेगा, सरकार कैसे चलेगी. निशाना पहले दिन से ही साफ तौर पर अमर सिंह की तरफ है. 



अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया है कि आप चाचा हो, सब कुछ ले लो, सब आपका है लेकिन मेरी एक बात माननी पड़ेगी.
समाजवादी पार्टी के बीच महाभारत जारी है (फोटो: द क्विंद)

 गेंद अब नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव की कोर्ट में है. फैसला उन्हें लेना है कि‍ 'बाहरी' के साथ क्या किया जाए. अब से कुछ देर पहले मुलायम ने पार्टी कार्यकर्ताओं को फिर आश्वस्त किया परिवार में सब ठीक है. ये संबोधन तब आया, जब लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित पार्टी मुख्यालय पर अखिलेश और शिवपाल समर्थक भारी संख्या में जमा होकर एक दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे. 


वैसे चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश के घरों की दूरी महज सौ कदम है. मुख्यमंत्री 5-कालि‍दास मार्ग पर  और शिवपाल 7-कालिदास मार्ग पर रहते हैं. लेकिन इस सौ कदम की दूरी के बीच सिर्फ एक 'बाहरी' खड़ा है, जिसकी वजह से इस छोटे से फासले में मीलों की दूरी बनी हुई है. 

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