ADVERTISEMENTREMOVE AD

महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे बता रहे हैं ‘मराठा टाइगर’ जिंदा है

शरद पवार ने न सिर्फ अपनी पार्टी की बल्कि पूरे विपक्ष की कमान संभालकर बीजेपी-शिवसेना को कड़ी टक्कर दी. 

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

"शरद पवार चा धड़ाम धड़ूम." 1990 के दशक का ये नारा शायद 25 साल बाद भी उतना ही दमदार है. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में जीत भले ही बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की हुई, लेकिन नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के मुखिया शरद पवार ने साबित कर दिया कि जंग के मैदान में कभी इस मराठा क्षत्रप को हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

और क्यों नहीं! शरद पवार ने न सिर्फ अपनी पार्टी की बल्कि पूरे विपक्ष की कमान संभालकर बीजेपी-शिवसेना को कड़ी टक्कर दी.

पवार की यादगार सतारा रैली

याद कीजिए वो सतारा की रैली. जहां भारी बारिश पड़ती रही, 78 साल के पवार पूरी तरह भीग चुके थे. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपना भाषण जारी रखा. उस भाषण में पवार ने सतारा की जनता से माफी मांगी कि उन्होंने उदयनराजे भोसले जैसे नेता को लोकसभा का टिकट दिया. वहीं भोसले जो चुनाव जीतने के कुछ महीने बाद ही पार्टी बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए.

पवार ने जनता से अपनी गलती सुधारने का एक मौका मांगा और इसका असर देखिए. सतारा में एनसीपी की भारी जीत हुई और उदयनराजे की भारी हार.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बात सिर्फ सतारा की नहीं

पवार के गढ़ पश्चिम महाराष्ट्र में एनसीपी ने 25 से ज्यादा सीटें जीतकर बीजेपी को पीछे छोड़ दिया. मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र में भी एनसीपी ने बीजेपी को टक्कर दी. खास तौर पर ग्रामीण हल्कों में, पवार ने ये भात दोहराई कि धारा-370 से किसानों का क्या लेना देना? हर मुद्दे पर पवार ने फ्रंट फुट पर बल्लेबाजी की.

टाइगर जिंदा है!

चुनाव से कुछ हफ्तों पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शरद पवार के खिलाफ एक केस दर्ज किया. इससे पहले की ईडी का हाथ पवार तक पहुंचता, उन्होंने ऐलान कर दिया कि वो खुद ईडी के ऑफिस जाएंगे. ईडी के अधिकारी घबरा गए. ईडी ने कहा कि पवार से पूछताछ करने का उनका कोई ईरादा नहीं है. ईडी ने तो अपने कदम पीछे ले लिए, लेकिन इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा.

खास तौर पर मराठा समाज में ये अफवाह फैल गई कि बीजेपी 78 साल के पवार को फंसाना चाहती है. एनसीपी अब महागठबंधन की प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर उभरी है और 78 साल की उम्र में पवार ने साबित कर दिया कि 'टाइगर जिंदा है'.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×