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केंद्र की वजह से महाराष्ट्र में COVID वैक्सीन का आपातकाल: शिवसेना

शिवसेना के मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा गया है

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शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र में कोरोना वैक्सीन की 'कृत्रिम कमी' पैदा की गई है और इसके पीछे ‘महाराष्ट्र को प्रताड़ित’ करने की केंद्र की साजिश है. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के मुखपत्र सामना में इस मुद्दे पर संपादकीय छपा है. इसमें लिखा गया है, '' महाराष्ट्र के मामले में वैक्सीन को लेकर राजनीति शुरू की गई है, जो कि निंदनीय है.''

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सामना ने लिखा है कि केंद्र सरकार, महाराष्ट्र को वैक्सीन की आपूर्ति करने के संदर्भ में 'जो अड़ियलपना अपना रही है' वो शिवकाल में हुआ होता तो छत्रपति शिवाजी राजे या छत्रपति संभाजी राजे भी महाराष्ट्र की जनता को न्याय दिलाने के लिए दिल्ली की ओर कूच करके फिस से रायगड लौट आए होते.

संपादकीय में लिखा गया है,

  • ''वैक्सीन के मामले में फिलहाल दिल्लीश्वर जो तानाशाही चला रहे हैं वो औरंगजेब की विरासत भी है. पहले महाराष्ट्र के दिल्ली वाले नेता दलीय मतभेद भूलकर संकट के समय महाराष्ट्र को किस तरह से मदद की जा सकती है इसके लिए एकजुट होकर आकाश-पाताल एक करते थे. आज दृश्य पूरी तरह बदल गया है.''
  • ''पुणे के प्रकाश जावडेकर दिल्ली में बैठकर महाराष्ट्र के विरोध में बदनामी मुहिम का नेतृत्व करते हैं, ये दर्दनाक है. कोरोना संकट की लड़ाई प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लड़ी जा रही है. देश में कोविड संघर्ष के यश का श्रेय कल तक मोदी ही ले रहे थे यह जावडेकर भूल गए, ऐसा प्रतीत होता है. प्रधानमंत्री ने कोविड के संदर्भ में जो निर्णय लिया उसे ही महाराष्ट्र ने अमल में लाया है.''
  • ''केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने तो महाराष्ट्र की ‘वैक्सीन’ की उचित मांग ठुकराने की कोशिश ही की और स्वास्थ्य संबंधित गंभीर माहौल में ‘वसूलीबाज’ आदि शब्दों का इस्तेमाल करके राजनीति कितनी ‘गंदी’ पद्धति से की जा रही है, ये दिखा दिया.''
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सामना ने आरोप लगाया है कि 'केंद्र की पक्षपाती नीतियों' की वजह से महाराष्ट्र में 'वैक्सीन का आपातकाल' शुरू हो गया है. उसने लिखा है कि बीजेपी शासित राज्यों को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन की खेप पहुंचाई गई है, जबकि महाराष्ट्र के साथ ऐसा नहीं हुआ है.

शिवसेना के मुखपत्र ने लिखा है कि ‘महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण की तीव्रता सबसे ज्यादा होने के बावजूद केंद्र का यह इस तरह से पक्षपाती बर्ताव’ मानवता के अनुरूप नहीं है.

संपादकीय के आखिर में लिखा गया है, ''राजनीतिक झगड़े हैं, लेकिन इन झगड़ों में अपने ही लोगों की बलि क्यों ली जाए? महाराष्ट्र की बारह करोड़ जनता ने कभी तो आज के विपक्ष को भी सत्ता पर बैठाया ही होगा. इतनी तो ईमानदारी रखो ‘वैक्सीन’ जनता के लिए है व्यर्थ राजनीति के लिए नहीं.''

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