कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार की कोरोना वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं. सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को लेटर लिखकर कहा कि सरकार की नीति मनमानी और भेदभावपूर्ण है. सोनिया गांधी ने कहा कि ये पॉलिसी दिखाती है कि सरकार ने 18 से 45 साल के लोगों को फ्री वैक्सीन देने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है.
सोनिया गांधी ने सवाल किया कि ऐसे मुश्किल समय में सरकार मुनाफाखोरी की इजाजत कैसे दे सकती है? उन्होंने लिखा,
“ऐसे समय में, जब मेडिकल रिसोर्स कम हैं, अस्पताल में बेड नहीं है, ऑक्सीजन सप्लाई और दूसरी दवाइयों की कमी है, आपकी सरकार ऐसी पॉलिसी की अनुमति क्यों दे रही है जो अति असंवेदनशील है.”
सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले साल नागरिकों पर हुए अत्याचार के बावजूद, सरकार भेदभावपूर्ण नीति जारी रख रही है.
"वैक्सीन के तीन दाम क्यों?"
सोनिया गांधी ने लिखा कि इस पॉलिसी का नतीजा है कि वैक्सीव मैन्युफैक्चरर ने वैक्सीन की अलग-अलग कीमत तय कर ली है. सीरम इंस्टीट्यूट का उदहारण देते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इससे नागरिकों को वैक्सीन लेने के लिए ऊंची कीमत देनी होगी और राज्य सरकारों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ेगा.
सोनिया गांधी ने सीरम इंस्टीट्यूट के वैक्सीन को लेकर तीन प्राइस रेंज पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "एक ही कंपनी से मैन्युफैक्चर हुई वैक्सीन के तीन अलग-अलग दाम कैसे हो सकते हैं?"
सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन कोविशील्ड के लिए नए दामों की घोषणा की है, जिसके तहत वो राज्य सरकारों को 400 रुपये प्रति खुराक, और प्राइवेट अस्पतालों को 600 रुपये प्रति खुराक पर वैक्सीन देगा. वहीं, केंद्र सरकार को ये वैक्सीन 150 रुपये प्रति खुराक दी.
सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस पहले ही केंद्र सरकार से पॉलिसी के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर चुकी है. गांधी ने प्रधानमंत्री से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की और इस फैसले को वापस लेने का सुझाव दिया. सोनिया गांधी ने कहा कि राष्ट्र का मकसद 18 वर्ष से अधिक के सभी लोगों को वैक्सीनेट करने का होना चाहिए.
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