छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) एक बार फिर चर्चा में हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के भीतर लंबे समय से चली आ रही अंदरूनी कलह, भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) से प्रतियोगिता के बीच सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय से अपना इस्तीफा सौंपा है. इसके बाद राज्य के कांग्रेस के विधायक सिंहदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. रविवार, 17 जुलाई को हुई कैबिनेट की बैठक में भाग लेने वाले लगभग 64 विधायकों ने आवाज उठाई कि इस तरह से इस्तीफा विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए हानिकारक है और मंत्री के खिलाफ सख्त लेकिन सम्मानजनक कार्रवाई की जानी चाहिए.
सिंहदेव के आरोप
कैबिनेट में पांच विभागों का संचालन करने वाले सिंहदेव ने यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि "महत्वपूर्ण निर्णय उनकी स्वीकृति और जानकारी के बिना लिए गए", और उन्हें एक मंत्री के रूप में प्रभावी ढंग से काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है. विशेष रूप से, सिंहदेव ने कुछ गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने दावा किया कि उनके विभाग द्वारा तैयार किए गए पंचायत विस्तार के मौसादा नियमों को बदलने से पहले उन्हें "विश्वास में नहीं लिया गया"। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए धनराशि स्वीकृत नहीं की गई, जिसके कारण लगभग 8 लाख लोगों के घर नहीं बन सके.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए बुरी खबर?
दिसंबर 2018 में, जब कांग्रेस सरकार राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 68 सीटें जीतकर सत्ता में आई, तो पार्टी नेतृत्व जाहिर तौर पर बघेल और सिंहदेव के बीच ढाई साल CM पद बांटने के फार्मूले पर पहुंच गया था. हालांकि दोनों शीर्ष नेताओं के बीच तनातनी को अफवाहों के रूप में बार-बार खारिज किया गया है, लेकिन बघेल के पूरे कार्यकाल में दोनों के बीच तनाव देखा गया है.
सिंहदेव के इस्तीफे को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खेमे द्वारा उन्हें हाशिए पर डालने के कथित प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि खुद भूपेश बघेल ने इस इस्तीफे के सवाल पर कहा कि मिलकर बैठकर जो भी मसला होगा वो सुलझा लेंगे. इस गर्मी की शुरुआत में, जब बघेल ने जनता से मिलने और पार्टी की स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य के सभी 90 निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा शुरू किया, तो सिंहदेव ने समानांतर यात्रा शुरू की.
क्विंट से बात करते हुए, छत्तीसगढ़ के राजनीतिक विश्लेषक अशोक तोमर ने कहा था कि बघेल के लिए, यह ग्रामीण छत्तीसगढ़ के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का एक मौका था, जबकि सिंहदेव के लिए यह राज्य की राजनीति के केंद्र में बने रहने की लड़ाई थी.
बढ़ती दरार की अटकलों पर टिप्पणी करते हुए सिंहदेव ने कहा था, 'थाहम अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं. इसे किसी और चीज के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.''
सिंहदेव ने ये भी कहा कि चाहे वह दौरा करें या न करें, दरार और नेतृत्व परिवर्तन की बातें बनी रहेंगी.
कई विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि सिंहदेव 2023 के चुनावों के बाद सीएम बनना चाहते हैं. कांग्रेस के नेता और विशेषज्ञ दोनों मानते हैं कि पार्टी के लिए 2018 का प्रदर्श दोहराना मुश्किल होगा.
मुद्दों पर भी मतभेद
सिंहदेव ने उत्तरी छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन का विरोध कर रहे आदिवासियों के लिए एक स्टैंड लिया. हालांकि, बघेल ने अगले दिन अपना रुख यह कहते हुए बदल दिया कि अगर उसी इलाके से आने वाले सिंहदेव इसके लिए सहमति नहीं देते हैं तो कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा. हालांकि, शीर्ष नेताओं के बीच बिल्ली और चूहे के खेल ने अक्सर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के भीतर कमजोरियों को उजागर किया है.
''राज्य में मजबूत नहीं बीजेपी''
एक राजनीतिक टिप्पणीकार ने पहले क्विंट को बताया था कि कांग्रेस के अच्छे रिपोर्ट कार्ड का श्रेय उसके प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य में खराब प्रदर्शन को जाता है, जो विपक्ष के रूप में अच्छी तरह से काम नहीं कर पाई.
टिप्पणीकार ने आगे कहा कि यदि बीजेपी राज्य में थोड़ी अधिक सक्रिय और आक्रामक होती, तो कांग्रेस के भीतर की अंदरूनी कलह जनता के बीच अधिक होती.
छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा-"क्या राज्य या केंद्रीय नेतृत्व हस्तक्षेप करता है और क्या राज्य के चुनाव से पहले सभी चीजें तय हो जाएंगी, यह अभी देखा जाना बाकी है, लेकिन पार्टी के भीतर उथल-पुथल लंबे समय से चल रही है और आगे और देरी होने पर ही दरार को और बढ़ाएगी"
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