मध्य प्रदेश के भोपाल संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद, बीजेपी यहां सशक्त उम्मीदवार को मैदान में उताने की तैयारी में है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के दिग्विजय के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा तेज हो गई है. उमा हालांकि इस बारे में अभी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.
भोपाल बीजेपी का गढ़ है और साल 1989 के बाद से पार्टी यहां लगातार जीतती आई है. कांग्रेस ने इस बार एक बड़ा दांव खेलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. सिंह एक पखवाड़े से ज्यादा समय से भोपाल संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हैं. दूसरी ओर, बीजेपी में उम्मीदवारी को लेकर बातचीत जारी है. बीजेपी के नेता बाहरी व्यक्ति को चुनाव लड़ाने की संभावनाओं का खुलकर विरोध कर चुके हैं.
पिछले दिनों आरएसएस से जुड़े संगठनों की भोपाल में एक बैठक हुई थी. इस बैठक में भोपाल, विदिशा और इंदौर की सीटों को लेकर मंथन किया गया था.
संघ के प्रतिनिधियों ने भोपाल से दिग्विजय सिंह के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उमा भारती को सबसे सशक्त उम्मीदवार माना था. चौहान किसी भी सूरत में लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं. इन स्थितियों में संघ ने उमा भारती से चर्चा की है.
उमा भारती हालांकि पहले ही ऐलान कर चुकी हैं कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी
उमा भारती के भोपाल से चुनाव लड़ने पर क्यों है सस्पेंस
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि उमा भारती ने भोपाल से चुनाव लड़ने से इनकार नहीं किया है, मगर हामी भी नहीं भरी है. उमा अपनी शर्तो पर चुनाव लड़ना चाहती हैं. बीते रोज उमा भारती झांसी में थीं. इस दौरान पत्रकारों ने उनसे जब भोपाल से चुनाव लड़ने के बारे में पूछा तो उन्होंने बस इतना कहा
‘ये सवाल सुना ही नहीं है. मैंने तय कर लिया है कि मुझे ये सवाल सुनाई ही नहीं देगा, जब सुनाई ही नहीं देगा तो बोलूंगी कहां से’उमा भारती, वरिष्ठ बीजेपी नेता
इस जवाब ने इतना तो साफ कर ही दिया है कि बात अभी तक पूरी तरह बनी नहीं है, साथ ही यह संदेश छुपा है कि आगामी चुनाव भोपाल से लड़ सकती हैं. यह बात अलग है कि उमा भारती ने पिछले दिनों चुनाव न लड़कर गंगा नदी के लिए काम करने का ऐलान किया था.
राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि भोपाल में दिग्विजय सिंह के मुकाबले बीजेपी के पास जो सशक्त चेहरे हैं, उनमें से एक नाम उमा भारती है. वहीं, उमा भी मध्य प्रदेश की राजनीति में सम्मानजनक वापसी चाहती हैं. संघ और उमा भारती के बीच फलदायी बात होती है तो उनके भोपाल से चुनाव लड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता.
उम्मीदवार के ऐलान में देरी के क्या मायने हैं?
बीजेपी ने भोपाल सहित कई प्रमुख सीटों से उम्मीदवार घोषित करने में हो रही देरी के सवाल पर पटेरिया का कहना है कि ये पार्टी की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. इसे खाली और आधा भरा गिलास के तौर पर देखना चाहिए. बीजेपी इस बात पर भी नजर रखे हुए कि उसके किसी निर्णय से कहीं असंतोष पैदा तो नहीं हो रहा. भोपाल के मामले में संघ और संगठन दोनों ही सतर्क है, इसलिए पार्टी संभलकर आगे बढ़ रही है.
कांग्रेस ने भोपाल से दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया है. बीजेपी जहां भोपाल को अपना गढ़ मानकर चल रही थी, वहीं उसे उम्मीदवार चयन में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. पार्टी के अंदरखाने से भी यही बात सामने आ रही है कि भोपाल से किसी हिंदूवादी चेहरे को मैदान में उतारने का मन बनाया जा रहा है, और उसमें उमा का नाम सबसे पहले है.
दिग्विजय सिंह का 'युवा विजय अभियान'
कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने युवा मतदाताओं से सीधे संवाद और संपर्क करने के लिए 'युवा विजय, संकल्पित दिग्विजय' अभियान शुरू किया है.
दिग्जिवय सिंह ने अपने ट्विटर एकाउंट पर एक वीडियो साझा कर लिखा
“युवाओं के साथ पारस्परिक संवाद स्थापित करने हेतु, उनकी समस्याओं, आवश्यकताओं व आकांक्षाओं को समझने तथा उस संदर्भ में सकारात्मक कार्य करने को लक्षित एक नई पहल ‘युवा विजय, संकल्पित दिग्विजय’ शुरू की जा रही है”दिग्जिवय सिंह
पूर्व मुख्यमंत्री ने इसके लिए एक मोबाइल नंबर 9911186200 भी जारी किया है. इस पर युवा मतदाता अपनी बात उन तक पहुंचा सकते हैं.
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के साथ साझा किए गए वीडियो में कहा है कि युवा इस इस देश का भविष्य है. लिहाजा युवा अपनी प्राथमिकताएं और उम्मीद के बारे में बताएं, जिन्हें पूरा करने का प्रयास करेंगे. साथ ही युवाओं की कसौटी पर खरा उतरने का भरोसा दिलाया है.
चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल
दिग्जिवय सिंह के उम्मीदवार बनने के बाद से ही उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल (1993 से 2003) को बीजेपी राज्य की बदहाली के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है. बीजेपी के आरोपों का जवाब देने के लिए दिग्विजय सिंह ने भी रणनीति बनाई है.
दिग्विजय ने पिछले दिनों अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं से कहा था कि वर्ष 2000 के बाद जन्मे मतदाताओं तक वास्तवकिता का संदेश पहुचाएं. वर्ष 1993 से 2003 के बीच किस तरह के विकास कार्य हुए, यह बताया जाए. सिंह ने युवाओं से संवाद करने के लिए सोशल मीडिया को माध्यम चुना है.
(इनपुट: IANS)
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