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आदित्यनाथ खुद को क्यों बता रहे हैं यूपी के लिए सबसे योग्य सीएम

इलेक्शन के पहले से ही हो रही थी आदित्यनाथ को सीएम कैंडिडेट बनाने के लिए कैंपेनिंग

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यूपी में अबतक भले ही सीएम की कुर्सी के लिए किसी चेहरे का ऐलान न किया हो. लेकिन गोरखपुर से बीजेपी सांसद और यूपी चुनावों में बीजेपी के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ ने खुद ही सीएम की कुर्सी पाने के लिए अपनी पोजिशनिंग शुरू कर दी है.

योगी आदित्यनाथ ने भले ही पहली बार अपनी इस महत्वाकांक्षा को सार्वजनिक किया हो. लेकिन सोशल मीडिया पर चुनाव के काफी पहले से ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए कैंपेनिंग की जा रही है.

योगी आदित्यनाथ ने कहा- हां, मुझमें मख्यमंत्री बनने की सभी योग्यताएं हैं.

आदित्यनाथ ने हाल ही में एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि उनमें मुख्यमंत्री बनने की सभी योग्यताएं हैं. साथ ही जब उनसे पूछा गया कि योगी आदित्यनाथ में तीन प्रमुख विशेषताएं कौन सी हैं तो उन्होंने कहा, "मैं तो सर्वज्ञ हूं."

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योगी ने गिनाईं सीएम की विशेषताएं

आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री में तीन तरह की विशेषताएं होनी चाहिए. सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक. हर नागरिक को सुरक्षा देने के साथ-साथ राज्य को विकसित करने का जज्बा उसमें होना चाहिए.

आखिर योगी को क्यों पड़ी खुद की पोजिशनिंग की जरूरत

यूपी चुनाव के लिए तैयार की गई स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भले ही योगी आदित्यनाथ को शामिल किया गया हो. लेकिन वह खुद को सीएम कैंडिडेट के तौर पर पेश न किए जाने से परेशान हैं. दरअसल, चुनाव के काफी पहले से ही योगी समर्थक सोशल मीडिया के जरिए कैंपेन चलाकर सीएम का चेहरा बनाने की पहल करते रहे हैं. सोशल मीडिया पर योगी फॉर सीएम की अपील करते दर्जनों पेज बने हुए हैं.

थकहार कर बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ अब खुद ही अपनी पोजिशनिंग करने में जुट गए हैं.

पार्टी की अनदेखी से परेशान हैं योगी

गोरखनाथ के मठाधीश और गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ यूपी इलेक्शन के ऐलान के बाद से पार्टी की ओर से की जा रही अनदेखी से भी आहत हैं. दरअसल, योगी सीएम कैंडिडेट के लिए खुद को प्रोजेक्ट किए जाने को लेकर लंबे समय से तैयारी कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी ने यूपी में भी पीएम मोदी पर ही दांव खेला और चुनाव के लिए मोदी को ही चेहरा बनाया. इसी के बाद से योगी कुछ परेशान हैं. उनके समर्थक भी इस बात से भी खासे परेशान हैं कि उनके नेता को न तो यूपी चुनाव की संचालन समिति में जगह दी गई और न ही बड़ी रैलियों के पोस्टरों में ही योगी नजर आए.

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