यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं की जगह पहले दो चरण के चुनाव प्रचार की कमान युवा पीढ़ी के हाथों में दिखी. समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी तक प्रचार अभियान से नदारद रहे हैं.
यूपी विधानसभा चुनाव का पहला चरण समाप्त होने और सोमवार को दूसरे चरण का प्रचार थमने तक कोई सीनियर नेता प्रचार करता नजर नहीं आया. सपा और कांग्रेस के चुनाव पूर्व गठबंधन के बाद से अखिलेश यादव और राहुल गांधी ही चुनाव अभियान की बागडोर संभाले दिख रहे हैं.
पारिवारिक विवाद का हुआ असर
मुलायम सिंह ने जहां खुद को पहले दो चरणों में प्रचार से अलग रखा, वहीं सोनिया गांधी खराब सेहत के चलते प्रचार का हिस्सा नहीं बन पाईं. पारिवारिक विवाद के बाद सपा नेता शिवपाल यादव ने भी पार्टी के लिए प्रचार न करने की ठानी और खुद को अपने विधानसभा क्षेत्र जसवंत नगर (एटा) तक ही सीमित रखा.
शिवपाल यादव ने प्रचार के दौरान पार्टी में विवाद के चलते अपनी नाराजगी भी जाहिर की. उन्होंने 11 मार्च को चुनाव नतीजे के बाद एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन करने का ऐलान भी किया है.
सपा के स्टार प्रचारक रहे अमर सिंह और जया प्रदा भी इस बार चुनाव अभियान से गायब रहे. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को उनकी अब और जरूरत भी नहीं है. अखिलेश ने एक जनवरी को यहां हुए सपा के अधिवेशन में अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
टिकट न मिलने का नाराजगी
सपा के एक दूसरे वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा भी प्रचार से दूर हैं. उनके बेटे राकेश वर्मा को बाराबंकी की रामनगर सीट से टिकट देने से इनकार कर दिया गया था.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी यूपी में अभी तक एक भी बैठक को संबोधित नहीं किया है.
बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा भी इस साल प्रचार अभियान से गायब हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी भी राजस्थान और पश्चिम बंगाल में राज्यपाल के पद पर काबिज होने के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हैं.
- इनपुट भाषा से
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