उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव है. नेता वोट के लिए विधानसभा क्षेत्रों में जा रहे हैं. लेकिन पब्लिक ने नेताओं के विरोध का मन बना लिया है. उनका कहना है कि जिस विधायक ने 5 साल तक नहीं पूछा उसे हम चुनाव में क्यों पूछें. नेताओं को खदेड़ने और विरोध की तस्वीरें उत्तर प्रदेश के कई जिलों से आ रही हैं. कहीं बैनर लगाकर विरोध किया जा रहा तो कहीं लोगों ने अपने घरों पर काले झंडे लगा रखे हैं.
रोड नहीं तो वोट नहीं का लगा दिया होर्डिंग
पीलीभीत के बीसलपुर विधानसभा में मानपुर जलालपुर गांव में लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का होर्डिंग लगा दिया. उनका कहना है कि गांव का मेन रोड 25 साल से खराब है. हर बार चुनाव के समय नेता वादा करते हैं कि रोड बनवा देंगे. लेकिन विधायक बनते ही भूल जाते हैं. सैकड़ो बार बीजेपी विधायक राम सरन वर्मा से शिकायत की, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नही दिया. इसी वजह से गुस्साए लोगों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का मन बना लिया है. वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
गांव के लोगों का कहना है कि मेन रोड से ही गांव का रास्ता जाता है. बारिश होने के बाद भयंकर कीचड़ हो जाता है, लेकिन उसी में होकर जाना पड़ता है. गांव के ही एक अन्य व्यक्ति ने कहा,
नेता 25 सालों से वादा कर रहे हैं, लेकिन आज तक किसी ने पूरा नहीं किया. गांव के ही एक अन्य व्यक्ति ने कहा, वोट लेने के बाद विधायक जी ने कभी भी गांव की तरफ मुड़कर नही देखा. इसी वजह से इस बार पूरे गांव ने फैसला किया कि जब तक रोड नहीं बनेगी, चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
'सड़क नहीं है, लड़कियां जंगल के रास्ते स्कूल जाती हैं'
मिर्जापुर में हलिया आदिवासी इलाका है. यहां के लोगों ने कहा कि रोड नहीं तो वोट नहीं. मतवार न्याय पंचायत में कुल 7 ग्राम सभाएं हैं, जिनमें 13 गांव हैं. स्थानीय लोगों ने कहा, यहां 8वीं के बाद की पढ़ाई के लिए लड़कियों को 22 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. वे सुबह 9 बजे घर से निकलती हैं और रात 9 बजे ही वापस आती हैं. उन्हें स्कूल पहुंचने के लिए 9 किमी. जंगल के रास्ते से गुजरना पड़ता है. यहां आजादी के बाद अभी तक रोड नहीं बनी.
नेताओं के विरोध में घरों पर लगाए काले झंडे
अमेठी के गौरीगंज विधानसभा के सूजापुर गांव में लोग इतना भड़के हुए हैं कि उन्होंने नेताओं के विरोध में अपने-अपने घरों पर काले झंडे लगा दिए हैं. यहां के लोगों का साफ तौर पर कहना है कि रोड नहीं तो वोट नहीं. बैनर लगाकर ये विरोध भी कर रहे हैं. सुल्तानपुर- रायबरेली हाईवे से सूजापुर होते हुए शुकुल डीह रोड को लगभग 15 साल पहले बनवाया गया था, लेकिन भारी गाड़ियों की वजह से रोड जगह-जगह धंस गई है.
गांव के लोगों ने कई बार शिकायत की तो पैचिंग कराई गई, लेकिन वह भी जल्दी ही खराब हो गई. सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां से गुजरते वक्त वे कई बार गिर चुके हैं. चोटिल हुए हैं. अब चुनाव आया है तो वे भी अपनी दिक्कतों के साथ खड़े हैं.
गांव के लोगों का कहना है कि जब तक उनकी सड़क नहीं बनवाई जाती, तब तक वे वोट नहीं करेंगे. हालांकि विरोध के बाद वहां संबंधित अधिकारी पहुंचे और रोड बनाने का वादा किया. यहां से सांसद विजय गुप्ता ने बताया कि जल्द ही रोड बनवा ली जाएगी.
कानपुर के घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र का भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां फत्तेपुर गांव में रोड की बड़ी दिक्कत है. गांव के लोग परेशान हैं. उन्होंने मेन रोड पर रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर लगा दिया.
गांव के लोगों का आरोप है गांवों को हाईवे से जोड़ने वाली रोड गड्ढों में बदल गई है. बारिश के दिनों में पानी भर जाता है. बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं. जब स्थानीय विधायक से शिकायत की गई तो उन्होंने अगली विधायकी में सड़क बनवाने का भरोसा दिलाया.
गांव के प्रधान सुधीर कोरी ने कहा, ग्रामीणों ने जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्निल वरुण को प्रस्ताव भी भिजवाया. पूर्व कैबिनेट मंत्री कमलारानी वरुण और वर्तमान बीजेपी विधायक उपेन्द्र पासवान के सामने बार-बार सड़क की समस्या रखने पर भी किसी का ध्यान नहीं गया है, जिससे ग्रामीण आक्रोशित हैं और मतदान बहिष्कार का मन बना चुके हैं.
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