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महिला आरक्षण बिल: 'INDIA' गठबंधन समर्थक है लेकिन आलोचना के 2 मुख्य कारण

Women's Reservation Bill: 'INDIA' गठबंधन की कई पार्टियां बिल में 33% ओबीसी महिला आरक्षण की मांग कर सकती हैं.

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नई संसद में महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) पेश कर दिया है. इसके बाद विपक्षी गठबंधन, 'INDIA' थोड़ी दुविधा में पड़ गया है. इसकी वजह है कि जहां एक ओर कांग्रेस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस और वाम दल जैसी कुछ पार्टियां ऐतिहासिक रूप से बिल की समर्थक रही हैं, वहीं समाजवादी पार्टी और आरजेडी जैसी अन्य पार्टियों ने पहले इसका विरोध किया था.

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वैसे तो इस बिल में 'INDIA' गठबंधन के भीतर विभाजन पैदा करने की क्षमता थी, लेकिन पार्टियों के आपस में प्रभावी को-ऑर्डिनेशन के कारण ऐसा नहीं हुआ. ऐसी संभावना है कि अंत में पूरा 'INDIA' गठबंधन इस बिल का समर्थन कर सकता है.

महिला आरक्षण बिल ने स्वयं विपक्षी गठबंधन को आलोचना के दो बिंदु दिए हैं, जिससे उसे अपने भीतर व्यापक एकता हासिल करने में मदद मिली.

ओबीसी रिजर्वेशन के लिए दबाव

ऐसा प्रतीत होता है कि 'INDIA' गठबंधन के भीतर इस बात पर व्यापक सहमति है कि उन्हें विधेयक के खिलाफ मतदान नहीं करना चाहिए या किसी भी तरह से इसका विरोध करते नहीं दिखना चाहिए.

सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) ने फैसला किया है कि वे विधेयक का विरोध नहीं करेंगे, लेकिन महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण के भीतर ओबीसी कोटा के लिए पुरजोर तरीके से मांग करेंगे.

पहले इसका विरोध करने वाले सभी दलों में से आरजेडी को वर्तमान स्वरूप में विधेयक का समर्थन करने के लिए सबसे कम इच्छुक बताया जा रहा है. पार्टी का रुख बताते हुए बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने एक्स पर पोस्ट किया.

OBC/EBC वर्ग की महिलाओं को ठेंगा दिखाने वाला महिला आरक्षण परिसीमन के बाद लागू होगा. परिसीमन जनगणना के बाद होगा. जातिगत जनगणना करवाने के दबाव में केंद्र ने जनगणना को ठंडे बस्ते में ही डाल दिया है. मतलब बस झाल बजाने और शोर मचाने के लिए शगूफा छोड़ा गया है.

ओबीसी महिलाओं के लिए रिजर्वेशन की मांग भी सामाजिक न्याय समर्थक के अनुरूप है जिसे गठबंधन चुनावों से पहले आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

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बिल लाने में देरी क्यों?

'INDIA' गठबंधन की ओर से बिल की आलोचना का दूसरा बिंदु है कानून लागू होने में देरी. कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह एवं वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने एक्स पर लिखा,

"अगली जनगणना की तारीख अभी पता नहीं है. अगले परिसीमन की भी तारीख नहीं पता. महिला आरक्षण बिल दो अनिश्चित तारीखों पर निर्भर है! क्या इससे बड़ा कोई जुमला हो सकता है? महिला आरक्षण को तुरंत लागू किया जा सकता है".

दिल्ली सरकार की मंत्री और आम आदमी पार्टी नेता आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और कहा कि 'यह बिल महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला है'.

उन्होंने कहा, "इस बिल को 2027 या 2028 में लागू किया जा सकता है. लेकिन सरकार 2024 के चुनावों के लिए महिलाओं को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है".

आतिशी ने मांग की कि सरकार को इस बिल को जनगणना या परिसीमन से नहीं बांधना चाहिए और बिल में संशोधन करना चाहिए ताकि इसे 2024 के चुनावों के लिए लागू किया जा सके.

कांग्रेस की तरह ही तृणमूल कांग्रेस का रुख भी इस बात पर जोर देने का है कि इस बिल की अगुआ उनकी पार्टी है. जहां कांग्रेस और डीएमके यह कहने में लगे हैं कि महिला आरक्षण यूपीए का मिशन है वहीं टीएमसी ने कहा है कि पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में टिकट आवंटित करते समय पहले ही महिला आरक्षण लागू कर दिया था.

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