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Siwan: "8 साल के बेटे को हथकड़ी लगा जेल ले गए",मां ने बताई हिंसा के बाद की कहानी

Bihar Siwan Violence: हिंसा में 8 साल का रिजवान कैसे पहुंचा जेल, सवालों के घेरे में पुलिस

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न्यूज
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बिहार (Bihar) के सिवान जिले के बड़हरिया थाना क्षेत्र में पिछले गुरुवार को हुई सांप्रदायिक हिंसा और उसके बाद पुलिसिया कार्रवाई के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है.

बड़हरिया थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, गुरुवार को जब महावीरी अखाड़े की शोभा यात्रा पुरानी बाजार स्थित मस्जिद के पास पहुंची तो वहां किसी बात को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच विवाद हो गया, जिसके बाद हिंसा भड़क गई. हिंसा में दोनों पक्षों के बीच पत्थरबाजी भी हुई. करीब दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए जिनमें पांच पुलिसकर्मी भी थे.

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हिंसा के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 100 अज्ञात और 35 नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और दोनों समुदायों से 10-10 लोगों को गिरफ्तार भी किया.

अब सवाल पुलिस की कार्रवाई पर उठने लगे हैं क्योंकि इन गिरफ्तारियों में कथित रूप से आठ साल का एक बच्चा रिजवान भी शामिल है. मुस्लिम समुदायों के नेताओं का मानना है कि पुलिस ने एक तरफा कार्रवाई की है.

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क्या रिजवान की उम्र आठ साल है?

बड़हरिया हिंसा मामले में सबसे ज्यादा चर्चा गिरफ्तार हुए रिजवान की उम्र को लेकर हो रही है. पुलिस की एफआईआर में रिजवान की उम्र 13 साल लिखी गई है. जबकि उसके परिजनों ने दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि बच्चे की उम्र आठ साल है.

बड़हरिया थाना के प्रभारी प्रवीण प्रभाकर ने द क्विंट को बताया, “मजिस्ट्रेट के समक्ष पूछताछ में लड़के ने अपनी उम्र खुद ही 13 साल बताई थी जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज हुई है. यह असली उम्र है या नहीं यह तो जांच में सामने आ ही जाएगा.”

वहीं रिजवान के भाई मो. शहाबुद्दीन ने द क्विंट से बातचीत में दावा किया कि उनके भाई की उम्र सिर्फ आठ साल है. इसे साबित करने के लिए उन्होंने रिजवान का जन्म प्रमाण पत्र भी हमसे साझा किया है.

रिजवान के भाई कहते हैं, “जन्म प्रमाण पत्र में मेरे भाई की जन्मतिथि 01-01-2014 दर्ज है. तो क्या यह सरकारी प्रमाण पत्र भी गलत है! पुलिस कह रही है कि रिजवान ने उन्हें अपनी उम्र 13 साल बताई, जबकि यह सरासर झूठ है. रिजवान बाहर निकलकर खुद दुनिया को बताएगा कि पुलिस ने उसके साथ क्या-क्या किया!”

Bihar Siwan Violence: हिंसा में 8 साल का रिजवान कैसे पहुंचा जेल, सवालों के घेरे में पुलिस

रिजवान का जन्म प्रमाण पत्र

फोटो- क्विंट

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पुलिस ने उसके साथ बहुत ज़ुल्म किया है- रिजवान की मां

रिजवान की उम्र आठ साल हो या 13 साल, है तो वह नाबालिग ही. लेकिन, पुलिस के ऊपर रिजवान के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उसके साथ मारपीट की गई, उसे हथकड़ी लगाकर हवालात ले जाया गया और कोर्ट में पेश करने के लिए रस्सी से बांधकर ले जाया गया.

रिजवान की मां वकीलन खातून कहती हैं, “मैंने अपनी आंखों से देखा जब उसे रस्से से बांधकर कोर्ट ले जाया गया था. हमारे कहने पर जब पुलिस वालों ने उसके हाथ में बंधी रस्सी खोली तो वह हमसे लिपटकर रोने लगा. पुलिस ने उसके साथ बहुत ज़ुल्म किया है, वहीं बताने लगा.“

यही नहीं रिजवान की मां ने पुलिस पर पैसे मांगने का आरोप भी लगाया है. उन्होंने कहा कि, “कोर्ट के बाहर दो पुलिसवाले मिले. एक वर्दी में थे और दूसरे ने सादा लिबास पहना था. उन्होंने हमसे पूछा कि बच्चे के परिवार से कौन है, जब हम बोले की हम हैं तो वे लोग 10-12 हजार रुपये मांगने लगे. हमने कहा कि गरीब आदमी हैं, पैसा कहां से लाएंगे! इसपर उन्होंने कहा- ये आप जानिए, लोग तो खेत बेचकर भी पैसा देते हैं.“

रिजवान के भाई खुद को मामले का प्रत्यक्षदर्शी बताते हुए बोले कि, “हिंसा की घटना शाम में हुई थी जब मेरा भाई नमाज पढ़ने मस्जिद गया था. पुलिस पूछताछ के लिए देर रात आई और मेरे 65 वर्षीय दादा मो. यासीन के साथ रिजवान को भी पूछताछ के लिए थाने ले गई. कहा गया कि पूछताछ और चिन्हित करने के बाद सबको छोड़ दिया जाएगा. उस समय पुलिस ने रिजवान पर भी डंडे चलाए तो हमें समझ में आ गया कि वो जल्दी नहीं छूटने वाला. थाने में ले जाकर पुलिस ने सबको हवालात में डाल दिया.“

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किस बात को लेकर भड़की थी हिंसा?

पुलिस की एफआइआर में दर्ज है कि महावीरी अखाड़े की शोभा यात्रा जब पुरानी बाजार स्थित मस्जिद पहुंची तो दोनों समुदायों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया और फिर हिंसा भड़क गई. लेकिन किस बात को लेकर विवाद हुआ था. यह जानने के लिए क्विंट ने बात की बड़हरिया के पूर्व मुखिया नसीम अख्तर से.

“शोभा यात्रा जब मस्जिद के पास पहुंची तो उसमें शामिल लोग वहीं ठहरकर मुसलमानों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. 'जय श्री राम' और 'हिन्दुस्तान में रहना है तो जय श्रीराम कहना होगा' जैसे नारे जब आप किसी भी मुसलमान के सामने उसे उकसाने के वास्ते चिल्ला-चिल्ला कर लगाएंगे तो उसे बुरा लगेगा. मस्जिद के अंदर मौजूद नमाजियों ने इसका विरोध किया. इसी में हिंसा भड़क गई.”
नसीम अख्तर, पूर्व मुखिया, बड़हरिया

नसीम आगे कहते हैं कि, “शुरुआत में पत्थर आस-पास के घरों से चले थे. जब भीड़ ने मस्जिद पर हमला बोल दिया और तोड़फोड़ करने लगे तो मस्जिद के अंदर के लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए उन्हें भगाने के लिए पत्थर चलाए. लेकिन तब तक भीड़ ने पूरे मस्जिद को तहस-नहस कर दिया था.“

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इस हिंसा का जिम्मेदार कौन हैं?

बड़हरिया में ऐसी हिंसा पहली बार नहीं हुई है. इसके पहले भी इसी तरह की शोभा यात्रा के दौरान इस इलाके में हिंसा की घटना हो चुकी है.

बिहार की जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने इस हिंसा का कसूरवार पुलिस को ही ठहराया है. पप्पू यादव का कहना है, “सरकार बदली पर प्रशासन नहीं बदला. यह प्रशासनिक चूक का ही नतीजा है. बड़हरिया उपद्रव मामले में सबसे अधिक दोष प्रशासन का ही है. स्थानीय अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

बड़हरिया के पूर्व मुखिया नसीम अख्तर बताते हैं, “जुलूस तो हर साल निकलता है. लेकिन इस बार पहले की तरह प्रशासन की मुस्तैदी नहीं दिखी. जब हिंसा शुरू हुई तब प्रशासन कहीं नहीं था और बाद में आया भी तो बहुत कम क्षमता के साथ. इसलिए उपद्रवी हावी हो गए.“

रिजवान के भाई ने कहा कि, “जुलूस को यह हक किसने दिया कि वह मस्जिद पर हमला कर दे. नमाजियों के साथ मारपीट करे. वजुखाने को तोड़ दे. यह सब अगर पुलिस की मौजूदगी में हुआ तो बेहद शर्मनाक है और अगर पुलिस वहां नहीं थी तो कर क्या रही थी?“

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क्या कहती हैं पुलिस?

इस हिंसा में पुलिस के ऊपर कई आरोप लग रहे हैं. हालांकि द क्विंट से बातचीत में सिवान के एसपी अभिनव कुमार ने इस मामले में पुलिस के एक्शन को सही ठहराया है.

“पुलिस की वहां मुस्तैदी थी इसलिए हिंसा बड़ा रूप नहीं ले पाई. हमने उसे नियंत्रित कर लिया है. रही बात गिरफ्तारियों की तो पुलिस के पास सभी गिरफ्तार किए गए लोगों से जुड़े सबूत हैं उसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया हैं. वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों को चिन्हित किया गया है.”
अभिनव कुमार, एसपी, सिवान

रिजवान की गिरफ्तारी पर एसपी अभिनव कुमार कहते हैं, “अगर पुलिस की पूछताछ में उसने उम्र 13 साल बताई तो वही दर्ज होगा न! अब सही उम्र क्या है, यह तो जांच का विषय है. रही बात उसे गिरफ्तार करने या हवालात में डालने और हथकड़ी लगाने की तो ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ है. हमारे पास उसके खिलाफ वीडियो फुटेज के रूप में सबूत हैं. और उसे ना ही हवालात में रखा गया और ना ही जेल भेजा गया. चूंकि वह नाबालिग है इसलिए अदालत के निर्देश पर उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.“

सिवान के एसपी के मुताबिक़ पुलिस ने पूरे मामले में बेहद निष्पक्ष होकर कार्रवाई की है. दोनों पक्षों के लोगों को गिरफ्तार किया गया है और केवल उन्हीं लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनके खिलाफ पुलिस के पास पुख्ता साक्ष्य हैं.

हालांकि, अभिनव कुमार का यह दावा फेल नजर आ रहा है क्योंकि रिजवान के भाई ने बताया कि अदालत से उनके भाई समेत अन्य चार लोगों को जमानत मिल गई और अब बस उनके जेल से छूटने का इंतजार किया जा रहा है.

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