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एक युवक ने 2 घंटे में वो कर दिखाया जो यूपी ट्रैफिक पुलिस न कर सकी

हिंदी फिल्म ‘नायक’ की तरह का नजारा मंगलवार को फिरोजाबाद जिले के टूंडला कस्बे में देखने को मिला

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वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

हिंदी फिल्म 'नायक' तो आपको याद ही होगा. फिल्म में एक दिन के मुख्यमंत्री अनिल कपूर ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर कानून का राज कायम किया था. ठीक उसी तरह का नजारा मंगलवार को फिरोजाबाद जिले के टूंडला कस्बे में देखने को मिला, जब यातायात अव्यवस्था की फरियाद लेकर पहुंचे युवक को ही एसएसपी ने दो घंटे का 'ट्रैफिक सीओ' बना दिया.

हुआ कुछ यूं कि मंगलवार को टूंडला तहसील परिसर में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में अलाबलपुर का युवक सोनू चौहान (28) अक्सर सड़क पर लगने वाले जाम से छुटकारा दिलाने की फरियाद लेकर सीनियर पुलिस ऑफिसर के सामने पेश हुआ उसने अपनी शिकायत में कहा,

आड़ा-तिरछा खड़े हो रहे वाहनों से जाम लग जाता है और एंबुलेंस तक नहीं गुजर पाती.

इस पर एसएसपी सचिंद्र पटेल ने कहा,

यदि ट्रैफिक संभालने की जिम्मेदारी तुम्हें दे दी जाए तो तुम क्या करोगे?” युवक ने पहले तो अपने सुझाव दिए, फिर कहा, “मैं एक दिन में व्यवस्था दुरुस्त कर दूंगा.”

युवक का इतना कहना था कि एसएसपी ने उसे तुरंत दो घंटे का 'ट्रैफिक सीओ' नियुक्त कर मातहतों को दो घंटे तक युवक के सभी आदेश मानने का हुक्म सुना दिया.

बस, युवक पुलिस की जीप में बतौर ट्रैफिक सुपरिटेंडेंट (सीओ) सवार हुआ और कोतवाल और दूसरे सब इंस्पेक्टर के साथ सुभाष चौराहा पहुंचकर उसने फिल्म ‘नायक’ के एक दिन के मुख्यमंत्री अनिल कपूर की तरह ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी.

आगरा से एटा जाने वाली बसों को सड़क से बस स्टैंड के अंदर करवाया और दोनों ओर लगे ठेलों और रेहड़ी को व्यवस्थित कर दो घंटे के कार्यकाल में चरमराई यातायात व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त कर दी. इस बीच यातायात नियम तोड़ने वाले आधा दर्जन से ज्यादा वाहनों का चालान भी काटा गया.

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फिरोजाबाद के एसएसपी सचिंद्र पटेल ने बुधवार को कहा,

सोनू ने दो घंटे में वह कर दिखाया, जो हमारी ट्रैफिक पुलिस नहीं कर पाई. अब पुलिस में सोनू की कार्यक्षमता की छाप उतारी जाएगी और उससे मिले तजुर्बे के अनुसार ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रखी जाएगी.

इस बारे में सोनू का कहना है कि अपने दो घंटे के कार्यकाल में उसने ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन करवाया है, और यदि पुलिस नियमों को ईमानदारी से लागू करे तो जाम लगने का सवाल ही नहीं उठता.

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