भोपाल में छात्र निशांक राठौर की मौत के दिन उनके मोबाइल फोन से उनके पिता को पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने की सजा के रूप में 'सर तन से जुदा' के बारे में एक रहस्यमय मैसेज आया था. इस मैसेज ने इंजीनियरिंग के छात्र निशांक राठौर की धार्मिक हत्या की अटकलों को हवा दी थी.
हालांकि, फॉरेंसिक टीम ने किसी भी बाहरी व्यक्ति द्वारा फोन के इस्तेमाल से इनकार किया है. धार्मिक हत्या की अफवाहों के विपरीत पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दिया है.
रायसेन के एसपी विकास कुमार शहवाल ने बताया कि
निशांक के फोन की फॉरेंसिंक जांच हुई है. फोन में डिजिटल फुटप्रिंट की जांच से पता चला है कि उसके फोन के साथ किसी बाहरी व्यक्ति ने कोई छेड़छाड़ नहीं की है.
बता दें, निशंक भोपाल में इंजीनियरिंग का छात्र था और 24 जुलाई रविवार की शाम को रायसेन जिले के बरखेड़ी क्षेत्र के पास रेलवे ट्रैक पर मृत पाया गया था. उस दौरान पुलिस ने शव के पास से उसका मोबाइल फोन और पास में खड़ा एक दुपहिया वाहन बरामद किया था.
दरअसल, निशांक की मौत से पहले उसके मोबाइल फोन से उसके पिता को एक व्हाट्सएप मैसेज भेजा गया था. इसके अलावा सोशल मीडिया पर “पैगंबर का अपमान करने वालों का सर तन से जुदा” की चेतावनी की पोस्ट डाली गई थी.
अभी तक क्या पता चला है?
निशांक की मौत के बाद पुलिस जांच से पता चला कि निशांक अपनी मृत्यु के अंतिम घंटों में अकेला था और उसका पीछा नहीं किया जा रहा था.
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार शहवाल ने क्विंट को बताया कि
निशांक के मौत से बमुश्किल एक घंटे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीर “पैगंबर का अपमान करने वालों का सर तन से जुदा” उसके फोन पर शाम 5:24 से शाम 5:28 बजे के बीच डाली गई थी.
शाहवाल ने क्विंट को बताया कि फोन को अनलॉक करने के लिए किसी भी प्रकार की कोशिश का कोई संकेत नहीं मिला है.
पुलिस सूत्रों ने यह भी कहा कि निशांक के फोन पर डिजिटल सर्च हिस्ट्री में सिर काटने की सजा से संबंधित टेक्स्ट था और यह उसके पिता को भेजे गए टेक्स्ट और सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए टेक्स्ट के समान था.
जांच से यह भी पता चला है कि निशांक कई लोन लेने के कारण दबाव में था और उसने शेयर बाजार और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश भी किया था.
निशांक राठौर के दोस्तों और परिवार ने द क्विंट को बताया कि वो किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं था. 24 जुलाई की दोपहर को अपने दोस्त राज रघुवंशी के घर से निकलने के कुछ घंटे बाद वह मृत पाया गया.
25 जुलाई की सुबह उसके पिता को मिले मैसेज से और निशांक के अकाउंट से पोस्ट की गई इंस्टाग्राम स्टोरी के सामने आने के बाद उसकी धार्मिक हत्या की अटकलों के कायास लगाए जाने लगे थे. व्हाट्सएप मैसेज के साथ-साथ सोशल मीडिया पोस्ट में भी पैगंबर का अपमान करने वालों के सिर काटने के संदेश थे.
निशांक के पिता और परिवार के सदस्यों ने आत्महत्या के आरोपों से इनकार किया और मामले की जांच की मांग की है. इसके बाद मौत की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था.
निशांक के पिता उमाशंकर राठौर ने बताया कि
मुझे शाम 5:44 बजे एक मैसेज मिला. मैंने तुरंत अपनी बेटियों को फोन किया और उन्हें इस मैसेज के बारे में बताया. मेरी बेटियों ने कहा कि उन्होंने निशांक के सोशल मीडिया पर एक तस्वीर के साथ यही मैसेज देखा है. वह आत्महत्या नहीं कर सकता था. वह उस तरह का लड़का नहीं था.
निशांक की मौत में कोई साजिश नहीं- पुलिस
शुरुआती जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला करार दिया है. हालांकि, निशांक के पिता को भेजे व्हाट्सएप संदेश और सोशल मीडिया पोस्ट अभी भी एक रहस्य हैं.
द क्विंट से बात करते हुए मामले की जांच कर रहे SIT के प्रमुख अमृत सिंह मीणा ने कहा कि अंतिम घंटों के दौरान किसी की मौजूदगी या निशांक राठौर की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है और कुछ भी उसकी मौत में गड़बड़ी का संकेत नहीं दिखाई दे रहा है.
अमृत सिंह मीणा ने बताया कि...
हम पहले दिन से ही कह रहे हैं कि हत्या के कोई संकेत नहीं हैं. वह अपनी मृत्यु के बाद के घंटों में अकेला था. पूछताछ में अब तक किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति नहीं दर्ज की गई है. उसका पीछा करते हुए भी किसी को नहीं देखा गया है. किसी भी झगड़े के कोई संकेत नहीं हैं. उसके ऊपरी शरीर पर किसी भी लड़ाई या चोट का कोई निशान नहीं है. ऐसा कोई भी सबूत नहीं मिला है, जिससे पता चले कि उसके अंतिम समय में कोई उसके साथ था.
पुलिस के अनुसार निशांक शेयर बाजार और क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन में शामिल था और उसने अपने दोस्तों से और साथ ही 'आसान लोन' देने वाले ऑनलाइन ऐप से कई लोन लिए थे.
पुलिस ने यह भी बताया कि निशांक ने कॉलेज की फीस के बहाने अपने पिता और बहन से अलग-अलग पैसे लिए थे. हालांकि, वह पिछले डेढ़ महीने से कॉलेज नहीं जा रहा था.
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