केंद्र सरकार जल्द ही हुर्रियत कॉफ्रेंस के दो गुटों के खिलाफ एक्शन ले सकती है. सरकार UAPA के तहत दोनों गुटों पर बैन लगा सकती है. अधिकारियों ने कहा, अगर केंद्र सरकार को लगता है कि कोई संगठन एक गैर-कानूनी संगठन है या बन गया है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा ऐसे संगठन को UAPA के तहत गैर-कानूनी घोषित कर सकती है.
सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों और खुफिया जानकारी के बाद ये फैसला लिया गया है.
सूत्रों के मुताबिक सरकार का मानना है कि घाटी में अशांति फैलाने वालों पर लगातार दबाव होना चाहिए. केंद्र शासित प्रदेश में 'अलगाववादी' मानसिकता वाले सरकारी कर्मचारियों को हटाने और पत्थर फेंकने वालों को पासपोर्ट या सरकारी नौकरियों के लिए सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करने का निर्णय इसी विचार के अनुरूप है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हम समझते हैं कि हुर्रियत पर भी कुछ करने के लिए पाकिस्तान का दबाव है.
पाकिस्तानी एमबीबीएस सीटों के रैकेट में शामिल छह लोगों की गिरफ्तारी के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की एक बैठक के बाद चर्चा तेज हो गई है. जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच में पाया गया कि हुर्रियत नेताओं को आवंटित सीटों को बेच दिया गया और पैसा आतंक और अलगाववादी गतिविधियों में चला गया. उस बैठक में भी हुर्रियत पर संभावित प्रतिबंध पर चर्चा हुई थी. सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में एक रिपोर्ट एमएचए को भी भेज दी गई है.
पुलिस की काउंटर-इंटेलिजेंस विंग (कश्मीर) के जारी एक बयान में कहा गया है,
श्रीनगर के बाग-ए-मेहताब निवासी साल्वेशन मूवमेंट के अध्यक्ष मोहम्मद अकबर भट उर्फ जफर भट, पट्टन, बारामूला निवासी फातिमा शाह, कुपवाड़ा निवासी मोहम्मद अब्दुल्ला शाह, शांगस अनंतनाग निवासी सबजार अहमद शेख, बाग-ए-मेहताब श्रीनगर निवासी अहमद भट, वर्तमान में बहरिया शहर, कराची, पाकिस्तान और मंजूर अहमद शाह, निवासी कुपवाड़ा और वर्तमान में उच्च न्यायालय, रावलपिंडी, पाकिस्तान के पास गुलमोहर कॉलोनी के रहने वाले आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
बयान में यह भी कहा गया है कि काउंटर-इंटेलिजेंस विंग के पास विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी थी कि कुछ हुर्रियत नेताओं सहित कई बेईमान व्यक्ति, कुछ शैक्षिक परामर्शदाताओं के साथ हाथ मिलाए हुए हैं और पाकिस्तान स्थित एमबीबीएस सीटें और अन्य महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रोफेशनल कोर्स की सीटें बेची जा रही हैं.
बयान में कहा गया है, आकांक्षी या संभावित छात्रों के माता-पिता से एकत्र किए गए धन का उपयोग, कम से कम आंशिक रूप से, आतंकवाद और अलगाववाद को अलग-अलग तरीकों से समर्थन और वित्तपोषित करने के लिए किया गया है.
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