प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के पैरेंट्स को राहत देते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने स्कूलों की फीस को नियंत्रित करने वाले राज्य सरकार के कानून को बरकरार रखा है. इस आदेश के बाद अब स्कूल सालाना 27,000 रुपये से ज्यादा नहीं वसूल पाएंगे.
‘राज्य सरकार को कानून बनाने का पूरा अधिकार’
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य की विधानसभा राज्य शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई के लिए कानून बनाने में सक्षम है. साथ ही ऐसा करने का उसके पास पूरा अधिकार है. कोर्ट ने सीबीएसई और अल्पसंख्यक स्कूलों की इस दलील को खारिज कर दिया कि सरकार उनका नियमन नहीं कर सकती.
इस कानून के मुताबिक, प्राथमिक स्कूलों में 15,000 रुपये, माध्यमिक स्कूलों में 25,000 रुपये और उच्च माध्यमिक स्कूलों में अब 27,000 रुपये सालाना से ज्यादा फीस नहीं वसूली जा सकती है.
अप्रैल में लागू हुआ कानून
राज्यपाल ओपी कोहली की सहमति मिलने के बाद इस साल अप्रैल से गुजरात सेल्फ फाइनांस स्कूल (फीस नियामक) अधिनियम लागू हुआ था. बीजेपी सरकार ने इस विधेयक को बजट सत्र के दौरान प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर नियंत्रण रखने के मकसद से पेश किया था. विधेयक पेश करने के पीछे राज्य सरकार का तर्क था कि स्पष्ट कानून नहीं होने की वजह से स्कूल छात्रों से ज्यादा शुल्क लेते हैं.
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(इनपुटः PTI से)
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