यदि आप पशु पक्षी प्रेमी हैं और इनको गोद लेना चाहते हैं तो हिमाचल वन विभाग आपकी ये इच्छा पूरी कर देगा. आप भी हिमाचल के चिड़ियाघर में मौजूद पशु-पक्षियों को गोद ले सकते हैं. पशु पक्षियों को गोद लेने से अर्थ ये नहीं है कि आपको कोई जानवर घर ले जाने की अनुमति होगी. लेकिन आप उनके खान-पान का खर्च उठा सकते हैं. जिसके बदले वन विभाग उस जगह पर आपके नाम की पट्टिका लगाने के साथ अन्य सुविधाएं भी आपको देगा.
वन विभाग की इस योजना के तहत चिड़ियाघर के पशु पक्षियों को गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति वन विभाग के पास आवेदन कर सकते हैं. जिसके बाद गोद लिए गए पशु पक्षी का सालाना खर्चा विभाग के पास जमा करवाना होगा. हिमाचल प्रदेश में रेणुका, गोपालपुर, रिवाल्सर, कुफरी समेत पांच बड़े चिड़ियाघर हैं. इसके अलावा आठ रेस्क्यू सेंटर हैं. जहां के जानवर गोद लिए जा सकते हैं.
पशु-पक्षी गोद लिए जाने की प्रक्रिया?
प्रधान मुख्य संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव राजीव कुमार ने बताया कि इस योजना को अक्टूबर में शुरू किया गया था इसके तहत अभी तक 3 पक्षी और एक तेंदुआ गोद लिया गया है. इसमें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हिमाचल के राजकीय पक्षी जाजुराना को गोद लिया है. इस योजना के तहत चिड़ियाघर में मौजूद तेंदुआ, शेर, भूरा भालू, काला भालू, हिमाचल के राज्य पक्षी जाजुराना समेत अन्य पशु पक्षियों को गोद लिया जा सकता है.
हर पशु या पक्षी को गोद लेने के लिए एक निश्चित राशि रखी गई है. ये रकम सालाना 5 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक है. इस योजना में आप पूरा चिड़ियाघर या रेस्क्यू सेंटर भी गोद ले सकते हैं.
पशु पक्षियों को गोद लेने की फीस:
तेंदुआ 2 लाख सालाना
भालू 2 लाख सालाना
शेर 2 लाख सालाना
सांभर 50 हजार सालाना
पूरा चिड़ियाघर 1 करोड़ सालाना
मनाली, सराहन, चायल की फीजेंटरी 25 लाख रुपये सालाना
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