झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश 2020 के तहत जुर्माने के प्रावधान को लेकर राज्य सरकार ने एक बयान जारी किया है. सरकार ने कहा है, ''24 जुलाई 2020 को समाचार पत्रों में प्रकाशित विभिन्न स्तरों से इस अध्यादेश के संबंध में दिए गए बयानों से ऐसा लग रहा है कि अध्यादेश के प्रावधानों को लेकर लोगों के मन में भ्रांतियां हैं.''
बता दें कि मीडिया में खबरें आई थीं कि झारखंड कैबिनेट ने बुधवार को झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जिसके तहत COVID-19 रोकने के लिए लागू उपायों का उल्लंघन करने वालों पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है और 2 साल तक जेल की सजा हो सकती है, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर थूकना और मास्क न पहनना जैसे उल्लंघन शामिल हैं.
हालांकि अब झारखंड सरकार ने कहा है कि दंड की राशि अभी तय नहीं है. सरकार की प्रेस रिलीज में कहा गया है, ''अध्यादेश में वर्णित दंड के प्रावधान अधिकतम प्रस्तावित दंड के रूप में हैं. अध्यादेश के आलोक में जारी होने वाले रेगुलेशन में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया जाएगा कि किस उल्लंघन के लिए कितना दंड देना होगा.''
इसके आगे प्रेस रिलीज में कहा गया है, ''रेगुलेशन के गठन की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है और इसमें जो दंड का प्रावधान किया जाएगा, वो व्यावहारिक और अपराध की गंभीरता के हिसाब से होगा.''
कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने संक्रामक बीमारियों पर अध्यादेश लाने की बात प्रेस ब्रीफिंग में कही थी. जिसका वीडियो www.jhargov.tv पर अपलोड हुआ था. बताया जा रहा है कि जुर्माने की राशि को लेकर आलोचना शुरू होने के बाद वेबसाइट से वीडियो हटा लिया गया.
पत्रकारों ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछा था, ''जिस अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी मिली है, वो आपको क्यों जरूरी लगा. लोग समझ नहीं पा रहे हैं.'' इसके जवाब में सोरेन ने कहा था, ''कानून में प्रावधान हैं...समय-समय पर कभी-कभी सख्ती करने की भी जरूरत पड़ती है और उसे लेकर ये निर्णय लिया गया है.''
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