झारखंड में कोरोनावायरस का पहला केस सामने आया है. संक्रमित महिला मलेशियाई नागरिक बताई जा रही है. मरीज को रांची के खेलगांव में आइसोलेशन के लिए भेज दिया गया है. ये जानकारी राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी नितिन मदन कुलकर्णी ने दी है.
झारखंड में इससे पहले कोरोना वायरस का एक भी पॉजिटिव केस नहीं पाया गया था. चौंकाने वाली बात ये भी थी कि करीब सवा तीन करोड़ की आबादी वाले राज्य में महज 196 लोगों के सैंपल लिए गए थे. साथ ही राज्य सरकार ने 29 मार्च के बाद से कोरोना अपडेट बुलेटिन भी जारी नहीं किया था.
लापरवाही के कई मामले आए सामने
साथ ही लापरवाही के भी कई उदाहरण इस राज्य से आए थे. जैसे रांची के हिंद पीढ़ी से 17 लोगों को पकड़कर क्वॉरन्टीन में भेजा गया है. इनमें ज्यादातर विदेशी और कुछ दूसरे राज्यों के लोग हैं. ये लोग यहां 17-18 मार्च को आए थे. तो सवाल है कि ऐसा क्यों हुआ कि ये लोग बिना स्क्रीनिंग के राज्य में आए, 8-10 दिन तक लोगों के कॉन्टेक्ट में आए और फिर जाकर इनकी जानकारी प्रशासन को मिली?
लापरवाही का एक और मामला रांची से 11 बसों में 600 मजदूरों को पाकुड़, कोडरमा और अन्य जिलों में भेजे जाने का है. लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रांची के डीसी ने एक मंत्री के कहने पर ये इंतजाम किए. जबकि लॉकडाउन में ऐसा नहीं होना चाहिए था. और अगर ये करना जरूरी भी था तो मजदूरों की स्क्रीनिंग होनी चाहिए थी. ये भी नहीं मालूम को जहां वो गए हैं, वहां क्वॉरन्टीन हैं या नहीं? लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में डीसी को नोटिस भी सर्व हुआ है.
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