उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक महीने पहले किडनैप हुए युवक की हत्या हो गई है. पुलिस शव की तलाश में जुटी है. बता दें कि कानपुर में 23 जून को संजीत को अगवा किया गया था. इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस पर लापरवाही का बड़ा आरोप लगा था. पुलिस की मौजूदगी में किडनैपर्स को 30 लाख की फिरौती दी गई थी, लेकिन पुलिस के शिकंजा कसने से पहले ही किडनैपर्स रकम लेकर फरार हो गए थे. पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को हिरासत में लिया है.
संजीत को 23 जून को किडनैप किया गया था. बर्रा थाना क्षेत्र में इस मामले में 26 जून को मुकदमा दर्ज हुआ था. एक महीने की जांच और तलाशी के बावजूद पुलिस संजीत का पता नहीं लगा पाई.
पांच लोग हिरासत में, दो खास दोस्त
पुलिस ने इस मामले में अब तक पांच लोगों को हिरासत में लिया है, जिनमें से दो संजीत के खास दोस्त हैं. इसमें एक महिला भी शामिल है. कानपुर एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु ने बताया कि उन्होंने कबूल किया है कि 26 या 27 जून को दोस्तों के साथ मिलकर संजीत की हत्या कर दी और शव को पांडू नदी में फेंक दिया गया था. पुलिस अलग-अलग टीम बनाकर शव को बरामद करने में जुटी है. एसएसपी ने बताया कि मोटरसाइकल और फोन को बरामद करने की भी कोशिश जारी है.
परिवार ने पुलिस पर लगाए लापरवाही के आरोप
मृतक के परिवार ने पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. परिवार का आरोप है कि वो लगातार पुलिस के चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस केवल आश्वासन देती रही. संजीत की बहन ने एसपी दक्षिण अपर्णा गुप्ता के ऊपर हीला-हवाली का आरोप लगाया था.
किडनैपर्स को दी थी फिरौती
29 जून को फिरौती का फोन आने के बाद संजीत के पिता ने पुलिस की मौजूदगी में किडनैपर्स को 30 लाख रुपये सौंपे थे. पुलिस सबकुछ जानकारी होने के बावजूद किडनैपर्स को पकड़ने में नाकाम रही थी. अब जो जानकारी सामने आ रही है, उससे मालूम चलता है कि फिरौती से पहले ही किडनैपर्स ने संजीत की हत्या कर दी थी.
एसपी को किया सस्पेंड
जनता नगर चौकी इंचार्ज राजेश कुमार को सस्पेंड करने के बाद, एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता और गोविंद नगर सीओ मनोज गुप्ता को भी सस्पेंड किया गया है.
इस पूरे मामले में पुलिस की जांच प्रक्रिया और काम करने के तरीके पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक, संजीत के करीबी दोस्तों ने इस घटना को अंजाम दिया है. तो फिरौती के वक्त पुलिस इन लोगों को क्यों नहीं पकड़ पाई?
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