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मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता कमलनाथ ने क्यों छोड़ा नेता प्रतिपक्ष का पद?

कमलनाथ की जगह गोविंद सिंह को नया नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने कांग्रेस की 'एक व्यक्ति-एक पद' नीति के तहत गुरुवार को राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, वह मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहेंगे. कमलनाथ की जगह अब गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष बनाए गए हैं. गोविंद सिंह सात बार से विधायक हैं.

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आगामी विधानसभा चुनाव पर नजर

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गुरुवार को कमलनाथ को पत्र लिखकर कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष ने तत्काल प्रभाव से नेता प्रतिपक्ष पद से आपका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है."

वेणुगोपाल ने आगे कहा कि कमलनाथ राज्य में पार्टी के प्रमुख के रूप में बने रहेंगे, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री को 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की राज्य इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उनके नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में वापसी करने में सफल रही और कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

कमलनाथ के करीबी सूत्रों ने दावा किया है कि आगामी चुनावों की बेहतर तैयारी के लिए उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया है.

डॉ गोविंद सिंह ज्यादातर काम पहले से ही संभाल रहे थे. कमलनाथ अब पूरी तरह से चुनावों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है. वह 2023 के चुनाव की तैयारी के लिए खुद को और अधिक समय देना चाहते हैं.
सूत्र

सूत्रों ने कहा कि गोविंद सिंह, जिन्हें दिग्विजय सिंह के खेमे का सदस्य माना जाता है, उन्हें आगामी चुनावों के लिए अपनी छवि और मजबूत करने के लिए विपक्ष के नेता का प्रभार दिया गया है.

हालांकि, मध्यप्रदेश कांग्रेस के अन्य सूत्रों का कहना है कि दिल्ली के नेता चाहते हैं कि पार्टी के अन्य नेताओं को भी मौका मिले, इसलिए कमलनाथ का इस्तीफा स्वीकार किया गया है.

कमलनाथ की वजह से सिंधिया ने छोड़ी थी पार्टी

कई लोगों का मानना है कि पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख का पद ज्योतिरादित्य सिंधिया से विवाद की बड़ी वजह थी. सिंधिया पार्टी का प्रमुख बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने कमलनाथ का समर्थन किया था.

भारतीय जनता पार्टी के 15 साल के शासन के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आई थी. कांग्रेस के सत्ता में आने के लगभग 15 महीने बाद सिंधिया 22 अन्य विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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