महाराष्ट्र के राज्यपाल सचिवालय ने शनिवार को जारी एक आरटीआई के जवाब में कहा कि राज्य विधान परिषद के लिए राज्यपाल पास के उम्मीदवारों की सूची उपलब्ध नहीं है. 22 अप्रैल को आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूची का विवरण मांगा था. जिसे महाराष्ट्र कैबिनेट ने नवंबर 2020 में राजभवन से एक प्रश्न में मंजूरी दे दी थी.
‘राज्यपाल सचिवालय ने चौंकाने वाली जानकारी दी’
गलगली ने कहा, “राज्यपाल सचिवालय ने चौंकाने वाली जानकारी दी है कि राज्य विधान परिषद के मनोनीत सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए राज्य मंत्रिमंडल द्वारा अनुशंसित सूची उनके पास उपलब्ध नहीं है.”
उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा राजभवन को प्रस्तुत प्रस्ताव की स्थिति की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, लेकिन राजभवन में अवर सचिव जयराम चौधरी ने दो दिन पहले सूचित किया कि यह (सूची) उनके पास उपलब्ध नहीं है.
गलगली ने कहा, "मैंने अब इस भ्रामक जानकारी के खिलाफ पहली अपील दायर की है. मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों का कहना है कि सूची राजभवन को भेज दी गई है. सीएमओ ने सूची प्रदान करने से इनकार कर दिया है क्योंकि राज्यपाल द्वारा इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. एक अलग जवाब दे रहा है."
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मांगा था स्पष्टीकरण
यह बयान एक दिन बाद आया जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अभी भी इस मुद्दे पर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया है, छह महीने से अधिक समय से अब तक लटका हुआ है.
न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की खंडपीठ ने राज्य से जवाब मांगा कि राज्यपाल 6 नवंबर, 2020 को किए गए नामांकन पर कब विचार करेंगे और मामले का निपटारा करेंगे.
सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस ने अतीत में बार-बार राज्यपाल से मनोनीत सदस्यों की सूची को मंजूरी देने की अपील की है. गलगली ने कहा कि या तो राजभवन या सीएमओ को सूचना सार्वजनिक करनी चाहिए और अगर राज्यपाल के पास सूची है तो वह मामले में उचित फैसला लें.
भारतीय जनता पार्टी के नेता आशीष शेलार ने शनिवार को राज्यपाल का बचाव करते हुए कहा कि वह कानून के अनुसार निर्णय लेंगे.
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