महाराष्ट्र में 'महा विकास आघाड़ी' यानी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन वाली ठाकरे सरकार 30 नवंबर, शनिवार को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेगी. इसके लिए महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है.
ठाकरे सरकार के फ्लोर टेस्ट के लिए एनसीपी विधायक दिलीप वलसे पाटिल को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है.
विधानसभा के विशेष सत्र में क्या होगा?
शनिवार को बुलाए गए महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र में सबसे पहले एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल प्रोटेम स्पीकर का चार्ज लेंगे. इसके बाद सदन के भीतर मंत्रियों का परिचय कराया जाएगा.
नेता विपक्ष के नाम का ऐलान होने के बाद ठाकरे सरकार को फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करना होगा.
जानकारी के मुताबिक, शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव होने की उम्मीद नहीं है, दरअसल, सरकार विधानसभा स्पीकर पद पर फैसला लेने के लिए कुछ और वक्त चाहती है.
मुख्यमंत्री उद्धव के साथ 6 मंत्रियों ने ली थी शपथ
शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में नई सरकार के सीएम के तौर पर शपथ ली. उद्धव के साथ शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के दो-दो नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. इनमें एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई (दोनों शिवसेना), जयंत पाटिल, छगन भुजबल (दोनों एनसीपी), बालासाहेब थोराट, नितिन राउत (दोनों कांग्रेस) शामिल हैं.
माना जा रहा है कि अब बहुमत साबित करने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल का विस्तार होगा.
बता दें, शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार का गठन विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के 36 दिन बाद हुआ है.
इससे पहले 23 नवंबर की सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद और एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले ही दोनों ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया.
महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की वोटिंग हुई थी. इस चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे. इन नतीजों में बीजेपी ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटें जीतीं. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमश: 56, 54 और 44 सीटों पर जीत दर्ज की.
बता दें कि बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन के तहत यह चुनाव लड़ा था. हालांकि चुनाव के नतीजों के बाद शिवसेना ने बीजेपी से सत्ता साझेदारी के 50-50 फॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री पद की मांग की. शिवसेना की इस मांग को बीजेपी ने खारिज कर दिया, जिसके बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया.
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