महाराष्ट्र विधानसभा में ‘महा विकास आघाड़ी’ यानी शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन की सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया है. 288 सदस्यीय विधानसभा में सरकार के पक्ष में 169 वोट पड़े हैं. हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले ही बीजेपी के सभी 105 विधायकों ने नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया.
फ्लोर टेस्ट में सरकार के खिलाफ कोई भी वोट नहीं पड़ा जबकि चार विधायक ऐसे रहे जिन्होंने किसी के पक्ष में वोट नहीं किया.
फ्लोर टेस्ट से पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ''विधानसभा का यह सत्र नियमों के मुताबिक नहीं है. यह सत्र बिना वंदे मातरम के शुरू हुआ है, यह नियमों का उल्लंघन है.''
सदन से बीजेपी के वॉकआउट के बाद उन्होंने कहा, ''यह सत्र असंवैधानिक है. प्रो-टेम स्पीकर की नियुक्ति भी असंवैधानिक है.'' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम राज्यपाल से मांग करेंगे कि यह सारी कार्यवाही निरस्त की जाए.
बता दें कि शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर को मुंबई के शिवाजी पार्क में नई सरकार के सीएम के तौर पर शपथ ली थी.
उद्धव के साथ शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के दो-दो नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली थी. इनमें एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई (दोनों शिवसेना), जयंत पाटिल, छगन भुजबल (दोनों एनसीपी), बालासाहेब थोराट, नितिन राउत (दोनों कांग्रेस) शामिल रहे.
बता दें, शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार का गठन विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के 36 दिन बाद हुआ है.
इससे पहले 23 नवंबर की सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद और एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. हालांकि फ्लोर टेस्ट से पहले ही दोनों ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया.
महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की वोटिंग हुई थी. इस चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे. इन नतीजों में बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमश: 56, 54 और 44 सीटों पर जीत दर्ज की.
बता दें कि बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन के तहत यह चुनाव लड़ा था. हालांकि चुनाव के नतीजों के बाद शिवसेना ने बीजेपी से सत्ता साझेदारी के 50-50 फॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री पद की मांग की. शिवसेना की इस मांग को बीजेपी ने खारिज कर दिया, जिसके बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया.
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