अपने संतरों के लिए मशहूर महाराष्ट्र का नागपुर इस बार परेशान नजर आ रहा है. विदेशों तक में निर्यात होने वाले नागपुर के संतरे इस बार तैयार होने से पहले ही बर्बात हो रहे हैं, जिससे किसान परेशान हो रहे हैं. आमतौर पर संतरे की फसल 2 बार आती है, जिसमें अम्बिया और रब्बी बहार होती है. इन दोनों ही बहारों में जो फसल उत्पन होती है, वही किसानों के लिए साल भर का उत्पन्न देती है. दिसंबर से जनवरी के बीच आई अंबिया बहार की ये फसल दूसरे सालों की अपेक्षा ज्यादा हुई, लेकिन संतरे और मौसंबी तैयार होने से पहले ही जमीन पर आ गए हैं.
नागपुर के नरखेड़ और काटोल में सबसे अधिक संतरा और मौसंबी की पैदावार होती हैं. रब्बी की बहार ज्यादा बारिश की वजह से बर्बाद हो गई. वहीं, दिसंबर और जनवरी में आई अंबिया बहार भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई.
नागपुर में तापमान 45 डिग्री तक चला गया है, जिसकी वजह से वातावरण में नमी पूरी तरह से खत्म हो गई और यही वजह है कि कई सालों से सजो के रखे गए इन संतरों के पेड़ से संतरे खुद-ब-खुद नीचे गिरने लगे.
दवाई के छिड़काव से भी नहीं मिली मदद
नागपुर के नरखेड तालुका में 10,712 हेक्टर में संतरे की, तो वहीं 6000 हेक्टेयर में मौसंबी की फसल लगाई जाती है. नागपुर क्षेत्र में इस बार बड़े पैमाने में ये फल धूप की वजह से सूख गए और वक्त से पहले ही जमीन पर आ गिरे. कई पेड़ों को अलग-अलग बीमारियों ने घेर लिया, जिससे निपटने के लिए किसानों ने दवाई का छिड़काव भी किया, लेकिन फलों का गिरना अभी भी जारी है. किसानों की बोलचाल की भाषा में इसे ब्लैक फंगस बीमारी बताया जाता है, जिसमें फल नींबू के आकर के होते ही गिर जाते हैं और फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है.
(फोटो: स्क्रीनशॉट)
"इतना इलाज, पानी डालने के बाद भी उम्मीद नहीं है कि संतरे पेड़ पर रहेंगे या नहीं. सरकार को इसके लिए कुछ आर्थिक मदद करनी चाहिए."किसान
सरकार से मुआवजे की मांग
काटोल नरखेड और आसपास के किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे है. किसानों का कहना है कि उन्होंने दोनों फसल में काफी नुकसान झेला है अपनी जमा-पूंजी भी इस फसल को बचाने में लगा दी. बावजूद इसके फसल नहीं बच पाई, जिस वजह से महाराष्ट्र सरकार बाकी क्षेत्रों में जिस तरह से फसल का नुकसान होने पर भरपाई करती है, उसी तरह से नागपुर में भी संतरे और मौसंबी की बर्बाद हुई फसल का मुआवजा किसानों को देना चाहिए, नहीं तो एक बार फिर बड़े पैमाने पर किसान आत्महत्या करने पर मजबूर होगा.
(इनपुट- दिलीप कांबले)
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