कलकत्ता हाईकोर्ट ने 17 मई की देर रात नारदा केस में टीएमसी नेताओं को जमानत दिए जाने वाले आदेश पर रोक लगा दी है. इसके पहले इन चारों नेताओं को सीबीआई ने नारदा केस में गिरफ्तार किया था और इन्हें जमानत भी मिल गई थी. अब मामले में अगली सुनवाई 19 मई को होगी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने इसके पहले हाईकोर्ट का रुख किया था और एजेंसी ने कोर्ट में कहा कि वो यहां ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं और उनकी जांच प्रभावित हो रही है.
17 मई की सुबह पहले सीबीआई ने बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व बीजेपी नेता सोवन चटर्जी के घर पहुंची थी, जिसके बाद इन चारों को सीबीआई दफ्तर लाया गया था. लेकिन बाद में सीबीआई ने चारों को गिरफ्तार कर लिया है.
गिरफ्तारी पर CBI ने क्या कहा
सीबीआई ने कहा,
सीबीआई ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े एक मामले में आज पश्चिम बंगाल सरकार के चार तत्कालीन मंत्रियों को गिरफ्तार किया है. सीबीआई ने माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर 16.04.2017 को तत्काल मामला दर्ज किया था. आरोप था कि तब सरकारी कर्मचारी स्टिंग ऑपरेटर से अवैध रूप से रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद हो गए थे. जांच के बाद संबंधित लोक सेवकों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी गई थी और यह सक्षम प्राधिकारी से दिनांक 07.05.2021 को प्राप्त हुई है. एक और आरोपित पर तत्कालीन एसपी की स्वीकृति मिली थी और उसे पहले गिरफ्तार किया गया था. फिलहाल वह जमानत पर हैं. पांचों अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया जा रहा है. जांच जारी है.सीबीआई का बयान
क्या है पूरा मामला?
साल 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले नारद न्यूज के सीईओ मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी किया था. इस वीडियो में वे एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के सात सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी से मिले थे और एक काम के बदले मोटी रकम देते नजर आए थे. बताया गया था कि ये टेप 2014 में बनाया गया था. जिसके बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने मार्च, 2017 में स्टिंग ऑपरेशन को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
वहीं स्टिंग ऑपरेशन में मौजूदा बीजेपी नेता मुकुल राय, ममता के पूर्व सहयोगी और फिलहाल बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी, सुब्रत मुखर्जी, सुल्तान अहमद, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, शोभन चटर्जी, मदन मित्र, इकबाल अहमद और फिरहाद हकीम का नाम सामने आया था.
जब ये स्टिंग ऑपरेशन सामने आया था तब विपक्ष ने 2016 के चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया था. लेकिन इन सबके बावजूद तृणमूल कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी.
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