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“सोशल मीडिया पर कोविड SOS मैसेज को दबाया न जाए” - सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, नागेश्वर राव और एस रवींद्र भट की बेंच ने मामले पर सुनवाई की.

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट में 30 अप्रैल को कोविड संकट और देश में ऑक्सीजन-दवाई की कमी पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को सोशल मीडिया पर अपनी शिकायतों के बारे में बताने पर किसी भी राज्य को सूचना को दबाना नहीं चाहिए. कोर्ट ने कहा, “हम ये साफ करना चाहते हैं कि अगर नागरिक अपनी शिकायत के बारे में सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं, तो उसे गलत जानकारी नहीं बताया जा सकता.”

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जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, नागेश्वर राव और एस रवींद्र भट की बेंच ने मामले पर सुनवाई की.

सुनवाई की बड़ी बातें:

  • बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूड़ ने राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा, “हम ये साफ करना चाहते हैं कि अगर नागरिक अपनी शिकायत के बारे में सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं, तो उसे गलत जानकारी नहीं बताया जा सकता. हम नहीं चाहते कि जानकारी को दबाया जाए.”
  • जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “अगर कार्रवाई के लिए ऐसी शिकायतों पर विचार किया जाता है, तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे.” उन्होंने साथ ही कहा कि सभी राज्यों और डीजीपी को संदेश पहुंच जाना चाहिए.

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया पर मदद की झूठी गुहार लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. ऑक्सीजन की मदद लगाने वाले एक शख्स के खिलाफ केस की भी खबर सामने आई थी.

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ऑक्सीजन सप्लाई पर केंद्र से सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ऑक्सीजन सुप्लाई पर भी केंद्र को फटकार लगाई. बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से कहा, “दिल्ली में जमीनी हकीकत ये है कि ऑक्सीजन मौजूद नहीं है, गुजरात और महाराष्ट्र में भी यही हाल है. सरकार हमें ये बताए कि आज और अगली सुनवाई में क्या अंतर आएगा?”

“दिल्ली पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है, और शायद ही कोई पूरी तरह से दिल्लीवासी है. जिंदगियां बचाने के लिए आपको और मेहनत करनी पड़ेगी, आपकी सामाजिक जिम्मेदारी है.”
सॉलिसिटर जनरल से सुप्रीम कोर्ट
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वैक्सीन की कीमत पर भी सुनवाई

जस्टिस चंद्रचूड़ ने वैक्सीन सप्लाई पर कहा कि टीकों की खरीद और वितरण के संदर्भ में 'नेशनल इम्युनाइजेशन पॉलिसी' का पालन किया जाना चाहिए. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वो कोविड वैक्सीन की 100% खुराक क्यों नहीं खरीद रहा है. कोर्ट ने कहा कि बराबर वितरण का ये सबसे अच्छा तरीका है.

कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट वैक्सीन निर्माताओं को यह तय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि किस राज्य को कितने टीके लगने चाहिए.

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इस मामले पर 27 अप्रैल को अपनी आखिरी सुनवाई में, बेंच ने राज्य सरकारों से उनके स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था और कहा था कि कोविड पर किसी भी आदेश को पारित करने से हाईकोर्ट को प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा, क्योंकि वे अपने संबंधित राज्यों के मामले की सुनवाई कर रहे हैं और वे जमीनी हकीकत को अच्छी तरह जानते हैं.

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