वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने के बाद कहा है कि उन्हें लोकतंत्र की खातिर बोलने की सजा मिली है.
यादव ने राज्यसभा के सोमवार को हुए फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में ये बात कही. उन्होंने कहा कि पार्टी के फैसले का विरोध करने के कारण उन्हें संसद की सदस्यता गंवानी पड़ी है. वो महागठबंधन को तोड़ने संबंधी अपनी पार्टी के फैसले के खिलाफ थे.
उन्होंने ट्वीट किया , ‘मुझे राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है. बिहार में राजग को हराने के लिए बने महागठबंधन को 18 महीनों में ही सत्ता में बने रहने के मकसद से राजग में शामिल होने के लिए तोड़ दिया गया. अगर इस अलोकतांत्रिक तरीके के खिलाफ बोलना मेरी भूल है तो लोकतंत्र को बचाने के लिए मेरी ये लड़ाई जारी रहेगी.’
यादव ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के बारे में कहा मुझे राज्यसभा के लिये अयोग्य घोषित किया गया है क्योंकि मैंने लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान किया है. मैंने पार्टी के संविधान का पालन किया और बिहार के 11 करोड़ लोगों के महागठबंधन के पक्ष में दिए गए जनादेश का सम्मान किया. मैं इस सिलिसले को न सिर्फ बिहार बल्कि देश की खातिर जारी रखूंगा.
यादव और अनवर की सदस्यता रद्द
जेडीयू से बगावत करने वाले नेताओं शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता सोमवार को खत्म कर दी गई थी. राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण यादव और अनवर की सदस्यता रद्द करने की सभापति से अनुशंसा की थी.
राज्यसभा सचिवालय के अनुसार संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (a) के अनुसार दोनों नेताओं की सदस्यता रद्द की गई. शरद यादव को राज्यसभा में पिछले साल ही चुना गया था और उनका कार्यकाल 2022 तक था, जबकि अली अनवर का कार्यकाल 2018 में खत्म होने वाला था.
राज्सयसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सोमवार देर शाम ये फैसला दिया. शरद गुट के नेता जावेद रजा ने कहा कि उन्हें सोमवार देर रात इस फैसले की प्रति मिली है.
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