सामना के संपादकीय में त्रिपुरा (Tripura) हिंसा पर महाराष्ट्र (Maharashtra) में भड़की हिंसा को आने वाले चुनाव की दस्तक बताया गया है. सामना में रजा अकादमी (Raza Academy), एमआईएम और बीजेपी पर इस हिंसा को भड़काने का ठीकरा फोड़ा गया है.
साथ ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर आवाज ना उठाना इसे केंद्र में बैठी मोदी सरकार की नाकामी करार दिया गया है.
सामना ने खड़े किये कई सवाल
सामना में आगे कहा गया है कि त्रिपुरा में मौजूदा बीजेपी सरकार खतरे में है, क्योंकि वहां बीजेपी की लोकप्रियता घटती जा रही है. ममता बनर्जी भी त्रिपुरा में ध्यान देने लगी है. जिस वजह से अब बीजेपी परंपरागत तरीके से सत्ता कायम रखने के लिए धार्मिक भावना भड़काने का काम कर रही है.
महाराष्ट्र के मुसलमानों का रजा अकादमी नेतृत्व नही करती.लेकिन म्यांमार से लेकर त्रिपुरा में कुछ हुआ तो रजा अकादमी के लोग मुंबई - महाराष्ट्र में दंगे भड़कते है. इनके पीछे कौन सी शक्तियां काम करती है. सामना ने यह सवाल खड़ा किया है.
सामना में लिखा है- ''कुछ साल पहले मुंबई के आजाद मैदान में भड़काए दंगे इसका ताजा उदाहरण है. लेकिन जैसे हिंदुओं पर अन्याय के खिलाफ महाराष्ट्र में हिंसा भड़काकर विरोध मोर्चे निकलते है वैसे देश के अन्य राज्य में हिंदू एकजुट क्यो नही होते सामना ने यह भी सवाल खड़ा किया है.'
बता दें महाराष्ट्र के अमरावती में रजा अकादमी के नेतृत्व में निकाले गए विरोध प्रदर्शन के जुलूस में दंगा भड़क गया था. रजा अकादमी ने त्रिपुरा में हुई हिंसा के खिलाफ 13 नवंबर को महारष्ट्र के अलग-अलग इलाकों में विरोध मार्च निकाला था.
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