सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अब बड़ी बेंच को सौंप दिया है और फिलहाल साल 2020-21 के लिए नौकरियों और कॉलेज दाखिलों में इस श्रेणी के आरक्षण पर रोक लगा दी है. हालांकि पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में फिलहाल जारी दाखिलों में आरक्षण की अनुमति दी गई है.
बार एंड बेंच के मुताबिक जस्टिस एल नागेश्वर राव, हेमंत गुप्ता, एस रवींद्र भट्ट की बेंच ने कहा है कि बड़ी बेंच जब तक इस पर सुनवाई नहीं करती है तब तक नौकरियों और प्रवेश में इस तरह का कोई रिजर्वेशन नहीं होगा. अब मामले को चीफ जस्टिस एसए बोबड़े के सामने लाया जाएगा जो इस केस में बड़ी संवैधानिक बेंच का गठन करेंगे.
तीन जजों की बेंच रिजर्वेशन में 50% की सीमा वाली बात पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केस की पार्टियों ने 11 जजों वाली संवैधानिक बेंच पर सवाल उठाया था. महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रखते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और कपिल सिब्बल कोर्ट से निवेदन किया कि 50% रिजर्वेशन की सीमा का मामला बड़ी बेंच को दिया जाना चाहिए.
फड़नवीस के CM रहते पास हुए था मराठा आरक्षण कानून
29 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र की विधानसभा ने सर्वसम्मति से राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मराठा समुदाय को 'छत्रपति शिवाजी महाराज की जय' के नारे के बीच शिक्षा और नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया. तबके मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठाओं की काफी समय से लंबित मांग पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर कार्यवाही रिपोर्ट (एटीआर) पेश करते हुए कहा था कि सरकार ने एक नई सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है.
जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मराठाओं को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की अनुमति फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी.
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