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तमिलनाडु:गैर-ब्राह्मण, महिला पुजारियों को लेकर ऐलान पर तेज हुई बहस

इस बारे में तमिलनाडु हिंदू धर्म और धर्माथ मंत्री पीके शेखर बाबू ने क्या ऐलान किए हैं?

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तमिलनाडु हिंदू धर्म और धर्माथ मंत्री पीके शेखर बाबू ने हाल ही में ऐलान किया कि 36000 से ज्यादा मंदिरों में सभी जातियों के हिंदुओं को पुजारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को भी मंदिरों में पुजारी नियुक्त किया जा सकता है. उनके इन ऐलानों पर, खासकर महिला पुजारियों की नियुक्ति के मामले पर, चर्चा तेज हो गई है. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

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जेंडर और जाति आधारित असमानता का विरोध करने वालों ने इन ऐलानों का स्वागत किया है, वहीं दूसरे (विरोधी) पक्ष का मानना है कि सरकार को ‘आगम शास्त्र’ में दखल नहीं देना चाहिए, जिसमें मंदिरों की संरचना और निर्माण पर दिशा-निर्देशों के अलावा मंदिरों में पूजा और दूसरे अनुष्ठानों से संबंधित नियम-कायदे दिए हुए हैं.
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महिला पुजारियों को लेकर तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख एल मुरुगन ने कहा है कि प्राचीन दिनों से महिलाओं को ‘आगम शास्त्र’ में विशेषज्ञता है और वे मेलमरवथुर में स्थित आदिपराशक्ति जैसे मंदिरों में पूजा कर भी रही हैं.

भगवा दल ने समाज के सभी लोगों को पुजारी के तौर पर नियुक्त करने के कदम का भी स्वागत किया है. मुरूगन ने कई ऐसे मंदिर बताए जहां कई जाति के लोग पहले से पुजारी का काम कर रहे हैं. वह जाहिर तौर पर यह संकेत दे रहे हैं कि प्रस्ताव पूरी तरह से नया नहीं है.

उन्होंने एक बयान में कहा, “हम लोगों को याद दिलाना चाहते हैं कि प्राचीन काल से हमारी तमिल संस्कृति में हमारे मंदिरों में अलग-अलग जातियों के लोग और महिलाएं पुजारी रहे हैं.”

हाल ही में बाबू ने कहा था कि कई महिलाओं ने मंदिर में पुजारी के तौर पर सेवा देने की इच्छा व्यक्त की है और उन्हें इस पद पर ‘आगम शास्त्रों’ में प्रशिक्षित किए जाने के बाद नियुक्त किया जा सकता है और मामले को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के संज्ञान में लाया गया है.

उन्होंने कहा कि हिंदुओं के सभी समाजों से संबंध रखने वालों लोगों को जल्द ही मंदिरों में पुजारी नियुक्त किया जाएगा.

विभिन्न हिंदू संगठनों में अलग-अलग पदों पर काम कर चुके राम रविकुमार ने सभी जातियों के लोगों को पुजारी के पद पर नियुक्त करने के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए महिलाओं को पुजारी नियुक्त करने का विरोध किया है और इसे परंपरा के खिलाफ बताया है.

आरएसएस की हिंदू मुनानी समेत कई संगठनों से जुड़ रहे और हिंदू तमिझर कटची के मुख्य संस्थापक रवि कुमार ने कहा, “ अगर आप आज यह स्वीकार कर लेते हैं तो कल वे सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने की मांग करेंगे और इसका कोई अंत नहीं होगा और आखिर में अव्यवस्था होगी.”

(PTI के इनपुट्स समेत)

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